पटना. बिहार पुलिस की कार्यशैली पर पटना हाईकोर्ट ने सख्त नाराजगी जताती है. जमीन विवाद से संबंधित मामलों की अनदेखी पर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा है कि ऐसे मामलों पर तुरंत एफआईआर दर्ज होना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि पुलिस का काम मामला दर्ज करना है, ऐसा न कर अपराधियों को सरंक्षण देने के समान है.
सोमवार को पटना हाईकोर्ट ने जमीनी विवाद में प्राथमिकी दर्ज नहीं किये जाने पर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए स्पष्ट किया कि जमीनी विवाद में पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करना होगा. अमरजीत राय एवं अन्य की ओर से दायर अर्जी पर जस्टिस संदीप कुमार ने सुनवाई करने के बाद यह निर्देश दिया.
कोर्ट का मानना था कि जमीनी विवाद की बात कह राज्य की पुलिस प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार कर देती है, जबकि पुलिस का पहला दायित्व प्राथमिकी दर्ज करना है. प्राथमिकी दर्ज नहीं करना एक तरह से अपराधियों को सीधा संरक्षण देने के समान है.
कोर्ट का कहना था कि जब कोई भी व्यक्ति थाने में शिकायत लेकर आता है, तो सबसे पहले पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करना चाहिए, न कि पहले शिकायत की जांच करने और शिकायत सही होने पर प्राथमिकी दर्ज करना.
पुलिस को चाहिए कि शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज कर अपनी जांच प्रारम्भ करे. जांच में सही पाए जाने पर अभियुक्तों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें. कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने देश के पुलिस को कई महत्त्वपूर्ण दिशा निर्देश जारी किया है, लेकिन प्रदेश में सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश का पालन नहीं किया जा रहा है.
कोर्ट ने पूर्वी चंपारण के एसपी को सुप्रीम कोर्ट की ओर जारी दिशा-निर्देश का पालन करने के बारे में जिला के सभी थानेदारों को निर्देश जारी करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन राज्य में पुलिस नहीं कर रही है। इस मामले पर अगली सुनवाई की 15 दिसंबर, 2021को होगी.
Posted by Ashish Jha