Supreme Court Of India सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुझाव देते हुए कहा कि मामलों की सुनवाई के लिए समय सीमा निर्धारित करने के लिए पहल करने का वक्त आ गया है. शीर्ष अदालत ने कहा कि बहुत सीमित समय उपलब्ध है और एक ही मामले में वकीलों द्वारा तर्क दिए जाने की मांग की जा रही है. इससे पहले मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहने के दौरान न्यायमूर्ति एमएन वेंकटचलैया ने सुझाव दिया देते हुए मामलों की सुनवाई के लिए एक समय सीमा तय किए जाने पर जोर दिया था.
वहीं, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि हमें अब इसके बारे में सोचने की जरूरत है और इस पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए. पीठ ने कहा कि यह सोच बहुत पहले से चली आ रही है, लेकिन हमने उस पर अमल नहीं किया. वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी याद कर सकते हैं कि मुख्य न्यायाधीश वेंकटचलैया के दौरान यह सुझाव दिया गया था कि हमारे पास सुनवाई के लिए समय सीमा होनी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली केंद्र की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही. इस याचिका में केंद्र द्वारा उनके खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही को चुनौती देने वाले पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय के एक आवेदन को कोलकाता से नई दिल्ली स्थानांतरित करने के लिए कैट की प्रमुख पीठ के आदेश को रद कर दिया था.
पीठ ने मामले में केंद्र की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि इस संबंध में पहल की जाए. कृपया पहल करें. यह समय है, अब उच्च समय है, पीठ ने कहा कि बहुत सीमित समय उपलब्ध है और कई वकील एक मामले में एक ही बिंदु पर बहस करना चाहते हैं और यही हो रहा है तथा अब यही अनुभव है. वहीं, तुषार मेहता ने कहा कि आपका लार्डशिप पहल कर सकती है. हम केवल समर्थन कर सकते हैं.
इससे पहले शुरुआत में तुषार मेहता ने पीठ से अनुरोध किया कि क्या मामले को 29 नवंबर को सुनवाई के लिए लिया जा सकता है. क्योंकि उन्हें दिन के दौरान सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित किए जा रहे संविधान दिवस के समारोह में भाग लेना होगा और इस मामले में थोड़ा लंबा समय लग सकता है.
पहल के संदर्भ में शीर्ष अदालत ने मेहता से कहा कि अगर वह समारोह को संबोधित करने जा रहे हैं, तो वहां आज के विषय की बात हो सकती है. जिसपर मेहता ने कहा कि मैं संबोधित नहीं करने जा रहा हूं, और वहां मौजूद रहने जा रहा हूं. वहीं, पीठ ने हाई कोर्ट के 29 अक्टूबर के आदेश को चुनौती देने वाली केंद्र की याचिका को 29 नवंबर को सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया.
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