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Jharkhand News: नक्सली बंदी के कारण गुमला के कई रूटों में नहीं चली बसें, करीब 60 लाख रुपये का हुआ नुकसान

Jharkhand News: नक्सली बंदी के दूसरे दिन गुमला में इसका आंशिक असर देखने को मिला. लंबी दूरी की बसें व बॉक्साइड मांइस बंद रहे. वहीं, शहर की बाजारें खुली रही. इधर, बसों के नहीं चलने से करीब 60 लाख रुपये का नुकसान हुआ है. बंदी को लेकर पुलिस पूरी तरह से चौकस है.

Jharkhand News: झारखंड के गुमला जिले में नक्सली बंदी का व्यापक असर बसों के परिचालन पर पड़ा है. दो दिनों से कई रूटों में बस नहीं जा रही है. इससे बस मालिकों को करीब 60 लाख रुपये का नुकसान हुआ है. वहीं, बसें नहीं चलने से बस पड़ाव की सभी दुकानें दो दिनों से बंद है. इससे करीब 150 दुकानदारों के समक्ष आर्थिक संकट उत्पन्न होने लगा है. कई दुकानदारों ने कहा कि बस नहीं चलने से सबसे ज्यादा परेशान बस पड़ाव के दुकानदारों को होती है. दो दिनों से व्यवसाय ठप है. हमलोग रोज कमाने व खाने वाले हैं. अभी तीसरे दिन की बंदी बाकी है.

बता दें कि गुमला जिला से जशपुर, रायपुर, चैनपुर, डुमरी, जारी, महुआडाड़, लातेहार, पलामू, गढ़वा, चतरा, लोहरदगा व लोहरदगा से होते हुए रांची एक भी बस नहीं गयी. बस मालिक, कंडक्टर, खलासी के अलावा यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

बस ऑनर एसोसिएशन, गुमला के सचिव शिव सोनी ने कहा कि सिर्फ गुमला से रांची के लिए कुछ गिने चुने बस चली है. कुछ बस रांची गयी, तो कुछ बस रांची से गुमला आयी है, लेकिन अन्य रूटों के लिए एक भी बस नहीं चल रही है. बसों के परिचालन ठप होने से कई लोगों कीइ रोजी-रोटी पर असर पड़ा है.

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बॉक्साइट माइंस बंद रहा

बिशुनपुर व घाघरा प्रखंड में नक्सली डर से दूसरे दिन भी बॉक्साइट माइंस बंद रहा. बॉक्साइट का उत्खनन नहीं हुआ. न ही बॉक्साइट गाड़ी चली. करीब एक करोड़ रुपये का व्यवसाय प्रभावित हुआ है. मजदूरों को दो दिन से काम नहीं मिल रहा है. ट्रक के चालक व खलासी भी बेकार बैठे हुए हैं. ट्रकों के चलाने से सड़कों पर होटल व अन्य दुकान चलाकर जीविका चलाने वाले लोगों पर भी असर पड़ा है.

गुमला शहर खुला रहा

नक्सली बंदी के दूसरे दिन भी गुमला शहर का बाजार खुला रहा. यहां हर छोटी बड़ी दुकानें खुली थी. हालांकि, बस नहीं चलने से व्यवसाय प्रभावित हुआ है. परंतु गुमला शहरी क्षेत्र में अब धीरे-धीरे नक्सली डर खत्म होने लगा है. पहले सिर्फ अफवाह में शहर की दुकानें बंद हो जाती थी, लेकिन अब नक्सली बंद पर भी लोग बेखौफ अपना व्यवसाय करते हैं.

Posted By: Samir Ranjan.

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