लंदन: ब्रिटेन में कोरोना की वजह से ज्यादातर अश्वेत लोगों की मौत हुई. एशियाई लोग ज्यादा बीमार पड़े. एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है. इसने ब्रिटेन में कोरोना महामारी के दौरान नस्ल एवं लिंग आधारित असमानता को उजागर किया है.
ब्रिटेन की सरकार अब इस बात की जांच कर रही है कि क्या कुछ चिकित्सा उपकरणों में अंतर्निहित नस्ली पूर्वाग्रह के कारण अश्वेत और एशियाई लोग बीमार पड़ रहे हैं और कोविड-19 से ज्यादा से मर रहे हैं.
ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री साजिद जाविद ने रविवार को कहा कि वैश्विक महामारी ने नस्ल एवं लिंग के आधार पर होने वाली स्वास्थ्य असामानताओं को उजागर किया है. उन्होंने कहा कि महामारी के चरम पर, ब्रिटेन में एक तिहाई गहन देखभाल कक्ष (आईसीयू) में भर्ती होने वाले लोग अश्वेत और नस्ली अल्पसंख्यक पृष्ठभूमि के थे, जो आबादी के अपने हिस्से के दोगुने से ज्यादा थे.
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ब्रिटेन के सांख्यिकी कार्यालय ने पाया है कि महामारी के पहले वर्ष से लेकर मार्च 2021 तक, ब्रिटेन में अश्वेत और दक्षिण एशियाई लोगों की मृत्यु दर उनके देश के श्वेत लोगों की तुलना में अधिक थी. व्यवसाय और अंतर्निहित स्वास्थ्य स्थितियों को ध्यान में रखने के बावजूद यह संख्या अधिक थी.
जाविद ने कहा कि एक मुद्दा वह शोध है, जो यह दर्शाता है कि पल्स ऑक्सीमीटर, जो त्वचा के माध्यम से खून में ऑक्सीजन के स्तर को मापते हैं, गहरे रंग की त्वचा पर कम काम करते हैं. उन्होंने इसे दुनिया भर में एक ‘प्रणालीगत’ मुद्दा कहा.
उन्होंने ‘स्काई न्यूज’ को बताया, ‘मैं यह नहीं कह रहा हूं कि यह किसी ने जान-बूझकर किया था, मुझे लगता है कि यह उचित है, यह संभावित रूप से चिकित्सा उपकरणों से जुड़ा एक प्रणालीगत मुद्दा है और हो सकता है कि यह चिकित्सा पाठ्य पुस्तकों के संबंध में भी सही हो.’
‘संडे टाइम्स’ अखबार में उन्होंने लिखा, ‘यह संभावना कि एक पूर्वाग्रह (यहां तक कि अनजाने में) एक खराब स्वास्थ्य परिणाम का कारण बन जाये, पूरी तरह से अस्वीकार्य है.’
एजेंसी इनपुट के साथ
Posted By: Mithilesh Jha
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