Bihar News: भागलपुर. विक्रमशिला सेतु का 20 साल जुलाई में पूरा हो गया. उत्तर और दक्षिणी बिहार को जोड़ने के लिए बने इस पुल से खगड़िया, सहरसा, पूर्णिया, किशनगंज, अररिया कटिहार भागलपुर, बांका सहित झारखंड के कई जिले के लोगों को सेवा मिली, लेकिन इस पुल की नियमित देखरेख नहीं हो पा रही है. इसके अभाव में इस पुल से होकर गुजरनेवाले लोग कई परेशानी झेलते हैं. दरअसल, इस पर रोशनी का जब से प्रबंध हुआ, तभी से पूरा पुल एक साथ रोशन नहीं हो सका है. शाम ढलते ही विक्रमशिला सेतु अंधेरे में डूब जाता है.
अंधेरे में विक्रमशिला पुल पर लोग जान जोखिम में डालकर गुजरते हैं. पुल से प्रतिदिन 30-35 हजार लोग गुजरते हैं. विक्रमशिला सेतु का उद्घाटन 23 जुलाई 2001 को पूर्व मुख्य मंत्री राबड़ी देवी ने किया था और इसका शिलान्यास 15 नवंबर 1990 में पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने किया था. पुल बन कर तैयार होने में 11 साल लगा था. शिलान्यास के छह माह बाद से पुल का निर्माण कार्य शुरू हुआ था. पुल पर लाइटिंग के संबंध में पुल निर्माण निगम के वरीय परियोजना अभियंता विजय कुमार से बात करने की कोशिश की गयी, मगर उनकी ओर से फोन रिसीव नहीं किया गया.
सेतु का 70-75 फीसदी हिस्सा डूबा रहता अंधेरे में
साढ़े चार किलोमीटर लंबे विक्रमशिला सेतु पर 110 वेपर लगे हैं. सेतु का 70-75 फीसदी हिस्सा अंधेरे में डूबा रहता है. भागलपुर और नवगछिया की ओर 100-100 केवी के दो ट्रांसफार्मर लगाये गये हैं और बिजली की आपूर्ति भी की रही है. लेकिन, वेपर लाइट नहीं जल रहा है. दरअसल, पुल बनने के छह साल बाद यानी, 2007 में लाइटिंग की व्यवस्था की गयी थी.
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तब से लेकर अबतक में एक-दो बार ही जांच कर फ्यूज वेपर लाइट बदला जा सका है. हाल के पांच साल में वेपर लाइट की जांच नहीं हो सकी है. तकरीबन चार माह पहले जिलाधिकारी का पुल निर्माण निगम को विक्रमशिला सेतु के गड्ढे भरने का निर्देश मिला था. गड्ढों को भरा गया. विक्रमशिला सेतु पर ट्रैफिक लोड बढ़ गया है, जब तक समानांतर सेतु का निर्माण नहीं हो जाता है, तब तक विक्रमशिला सेतु की सेहत बिगड़ती रहेगी.
Posted by: Radheshyam Kushwaha