पटना. विधानसभा उप चुनाव की भांति विधान परिषद चुनाव में भी राजद और कांग्रेस के बीच अलगाव रहा तो दोनों के हाथ से एमएलसी की एक सीट छिन सकती है. सियासी जानकारों के मुताबिक अगर वाम दल प्रत्याशी उतारते हैं तो महागठबंधन के खाते में यह सीट जा सकती है. बशर्ते के राजद और कांग्रेस विधायक उसके समर्थन में लामबंद हो जाएं. एमएलसी चुनावों में महागठबंधन के खाते में सात में तीन सीटें संभावित हैं.
राजद अपने संख्याबल के आधार पर दो सीटें आराम से हासिल कर लेगा. तीसरी सीट हासिल करने के लिए उसे कांग्रेस और वाम दल दोनों के विधायकों के संख्या बल की जरूरत पड़ेगी. इधर, कांग्रेस के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक राज्य में कांग्रेस अब राजद के साथ नहीं जा रही है. लिहाजा अगर कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ तो कांग्रेस और राजद दोनों को तीसरी सीट से हाथ धोना पड़ सकता है. दरअसल कांग्रेस के पास केवल 19 विधायक हैं.
उसे जीत के लिए 15 और विधायक चाहिए. जरूरत से एक सीट अधिक 16 विधायक केवल वाम दलों के पास हैं. वहीं कांग्रेस के लिए मुश्किल यह है कि राजद और वाम दलों के बीच उप चुनाव में समझ और बढ़ी है. कुल मिला कर राजद और कांग्रेस की टूट से महागठबंधन की तीसरी सीट दोनों से छिन सकती है. राजद के लिए घाटे की बात यह है कि तीसरी सीट के लिए वाम दल का सहयोग मिलता भी है तो भी वह तीसरी सीट नहीं जीत पायेगी.
अब उच्च सदन में जाने के लिए माले भी करेगा दावेदारी
अगले साल मई में होने वाले विधान परिषद के चुनाव में भाकपा माले भी दावेदार होगा. पार्टी ने विधानसभा कोटे से भरी जाने वाली विधान परिषद की सात सीटों के लिए अपनी दावेदारी पेश करने का मन बना लिया है. अब तक विधान परिषद के लिए भाकपा माले के विधायक दूसरे दलों को वोट करते आये हैं.
लेकिन, इस बार विधानसभा में उनकी संख्या बढ़ी है तो सीटों के लिए दावेदारी भी होगी. अगले साल 2022 के जुलाई महीने में विधानसभा कोटे की विधान परिषद की छह सीटें खाली हो रही है. इन छह सीटों में महागठबंधन के भीतर भाकपा माले की भी दावेदारी होगी. विधानसभा की संख्या बल के आधार पर तीन-तीन सीटें दोनों ही गठबंधनों के खाते में आ सकती है.
Posted by: Radheshyam Kushwaha