हर साल डायबिटीज (Diabetes) को लेकर लोगों को जागरुक करने के लिए 14 नवंबर को विश्व भर में वर्ल्ड डायबिटीज डे (World Diabetes Day) के रुप मे मनाया जाता है. गांव के मुकाबले शहरों में डायबिटीज के रोगी ज्यादा मिलते हैं क्योंकि शहरों में मिलावटी खान पान और शुद्धता में अंतर देखा जाता है. आज ये बीमारी केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में तेजी से फैल चुका है. लोग चाहे तो अपने लाइफस्टाइल और खानपान में बदलाव कर इससे बच सकते हैं. अक्सर काम के बोझ में फिजिकल एक्टिविटी को भुलते लोग अनजाने में डायबिटीज को न्योता देते हैं. इन्हीं सब मुद्दों पर लोगों को जागरुक करने के साथ साथ इसके समाधान पर ध्यान केंद्रित करने के लिए हर साल ये दिन मनाया जाता है.
वहीं, IDF यानी इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन( International Diabetes Federation) इस बीमारी से लड़ने के लिए हर साल नए थीम का चुनाव करता है. इस साल 2021 में मेन फोकस ‘डायबिटीज केयर तक पहुंच: यदि अभी नहीं तो कब?’ पर रखा गया है.
वर्ल्ड डायबिटीज डे का इतिहास
14 नवंबर को सर फ्रेडरिक बैंटिंग के जन्मदिन के अवसर ये दिन मनाया जाता है. सर फ्रेडरिक बैंटिंग ने 1922 में चार्ल्स बेस्ट के साथ इंसुलिन की खोज की थी. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी डायबिटीज को लेकर लगातार चिंता जाहिर की है. जिसे देखते हुए इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन और डब्लूएचओ (WHO) की तरफ से 1991 से इन दिन को मनाने शुरुआत हुई. इस दिन डायबिटीज के प्रति बढ़ती चिंताओं के प्रति लोगों को जागरुक किया जाता है.
इन दिन का महत्व
आज के आधुनिक युग और तेजी से भागती दुनिया में हेल्थ के प्रति लोगों की लापरवाही अक्सर देखने को मिलती है. ऐसे में इस दौर में वर्ल्ड डायबिटीज डे अलग भूमिका निभाता है. इस अभियान से 160 से ज्यादा देशों के करोड़ों लोग जुड़े हुए हैं. ये अभियान डायबिटीज के तरफ लोगों का ध्यान केंद्रित करता है. इसके साथ इस रोग से जुड़े साल भर के मुद्दों को एक वैश्विक मंच भी प्रदान करता है. जागरुकता के साथ साथ इस बीमारी से जूझ रहे मरीजों को इसके खिलाफ जरूरी कदम उठाने के लिए भी प्रोत्साहित करता है. बता दें कि इस अभियान को नीले लोगो( चिह्न) से दर्शाया जाता है. जो इस रोग के खिलाफ वैश्विक एकजुटता को दिखाता है.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.