राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल की अध्यक्षता में अफगानिस्तान को लेकर दिल्ली में बैठक शुरू हो गयी है. इस बैठक में रूस, अमेरिका, उजबेकिस्तान और ताजिकिस्तान के सुरक्षा सलाहकारों ने हिस्सा लिया है.
This is a time for close consultations amongst us, greater cooperation & interaction &cooperation among the regional countries. I'm confident that our deliberations will be productive, useful&will contribute to help people of Afghanistan &enhance or collective security:NSA Doval pic.twitter.com/oKu9noiAIx
— ANI (@ANI) November 10, 2021
इस बैठक में मुख्य रूप से इस विषय पर चर्चा हो रही है कि अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद जो हालात पैदा हुए हैं उनसे कैसे निपटा जाये तालिबान की तरफ से अफगानिस्तान में लगातार मानवाधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है इससे कैसे रोका जाये.
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इस बैठक में शामिल होने के लिए इन देशों के साथ- साथ पाकिस्तान और चीन को भी निमंत्रण भेजा गया था लेकिन दोनों देशों ने इसमें शामिल होने से साफ इनकार कर दिया. अब इस बैठक पर सबकी निगाहें हैं कि इसमें किन मुद्दों पर सहमति बनती है और खतरे से निपटने के लिए बैठक में शामिल सभी देश मिलकर क्या रणनीति तैयार करते हैं.
डोभाल ने ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के अपने समकक्षों के साथ मंगलवार को द्विपक्षीय वार्ता भी की। बातचीत में अफगानिस्तान के घटनाक्रम, अफगान धरती से आतंकवाद के संभावित खतरे और युद्ध से जर्जर देश में मानवीय संकट मुख्य मुद्दा रहा.
पाकिस्तान इस बैठक में शामिल तो नहीं हुआ लेकिन इस बैठक पर पाकिस्तान की कड़ी नजर है. उसे डर है कि उसकी नापाक हरकत का तोड़ इस बैठक से निकाला जा सकता है. पाकिस्तान तालिबान के समर्थन में खड़ा रहता है.
तालिबान के साथ अपने रिश्ते को लेकर खुलकर तो पाकिस्तान ने कुछ नहीं कहा लेकिन अफगानिस्तान पर कब्जे के लिए पाकिस्तान ने तालिबान की खूब मदद की ना सिर्फ अपने सैनिक भेजे बल्कि रणनीतिक तौर पर भी उसकी फौज में शामिल लोग तालिबान की मदद करते रहे.
दुनिया जानती है कि पाकिस्तान कभी भी अफगानिस्तान को आधुनिक धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र के रास्ते पर बढ़ते नहीं देख सकता वह तालिबान को इसिलए आगे बढ़ा रहा है ताकि कंटरपंथी ताकतों को मजबूत किया जा सके और भारत के खिलाफ उसका इस्तेमाल हो.