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ललित बाबू के परिवार की याचिका पर कोर्ट ने किया सीबीआई से जवाब तलब, हत्या की जांच फिर से कराने की मांग

मिथिला के कद्दावर कांग्रेसी नेता व पूर्व रेल मंत्री एलएन मिश्रा हत्याकांड के दोषियों की अपील की सुनवाई के दौरान दिवंगत नेता के परिजनों का पक्ष सुनने संबंधी अनुरोध पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को सीबीआई से जवाब तलब किया.

पटना. मिथिला के कद्दावर कांग्रेसी नेता व दरभंगा के पूर्व सांसद एलएन मिश्रा हत्याकांड के दोषियों की अपील की सुनवाई के दौरान दिवंगत नेता के परिजनों का पक्ष सुनने संबंधी अनुरोध पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को सीबीआई से जवाब तलब किया. पूर्व रेल मंत्री एल एन मिश्रा समस्तीपुर रेलवे स्टेशन पर 1975 में हुए विस्फोट में मारे गये थे.

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की पीठ ने सीबीआई को नोटिस जारी किया है. इस मामले को अगले साल 21 जनवरी को सुनवाई होगी. सीबीआई को उस तारीख तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा गया है. न्यायालय पूर्व मंत्री के पोते वैभव मिश्रा द्वारा दायर एक आवेदन पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है. श्री मित्र ने कानून के सवाल और मामले में शामिल तथ्यों के समर्थन में मौखिक या लिखित पक्ष रखने की अनुमति देने की मांग की है.

पेशे से वकील वैभव ने कहा कि मृतक के परिजन दोषियों द्वारा दायर अपील में पक्षकार नहीं हैं और वह न्याय की प्रक्रिया में सहायता करना चाहते हैं. अधिवक्ता भानु सनोरिया, अंशुमन, विजय कसाना और सरहक घोंक्रोक्टा के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि जब याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री में मामले की पड़ताल करने की कोशिश की, तो उन्हें यह कहते हुए इससे वंचित कर दिया गया कि याचिकाकर्ता अपील में कोई पक्षकार नहीं हैं.

याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने कुछ जांच रिपोर्टों के आधार पर सीबीआई के समक्ष फिर से जांच के लिए एक अभ्यावेदन दायर किया था, क्योंकि उनका मानना था कि एजेंसी द्वारा उचित और निष्पक्ष जांच नहीं हुई और महत्वपूर्ण सबूतों की अनदेखी की गई. अभ्यावेदन के जवाब में, सीबीआई ने कहा है कि चूंकि मामले में दोषसिद्धि आदेश के खिलाफ अपील उच्च न्यायालय में लंबित है, इसलिए मामले में फिर से जांच की कानूनी रूप से अनुमति नहीं है.

उच्च न्यायालय ने पहले सीबीआई से मामले में दिये गये अभ्यावेदन पर विचार करने को कहा था. यहां की एक निचली अदालत ने तीन ‘आनंदमार्गी’ और एक वकील को दिसंबर 2014 में 46 साल पहले पूर्व रेल मंत्री एल एन मिश्रा की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. निचली अदालत ने माना था कि आतंकी कार्रवाई का उद्देश्य तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार पर आनंदमार्ग के प्रमुख को जेल से रिहा करने के लिए दबाव बनाना था.

दोषियों ने 2015 में उच्च न्यायालय के समक्ष एक अपील दायर करके निचली अदालत द्वारा दोषसिद्धि और सजा सुनाये जाने को चुनौती दी थी. अपीलकर्ताओं को जमानत दे दी गयी थी, जबकि अपील अब भी उच्च न्यायालय में लंबित है. निचली अदालत ने तीन आनंद मार्गी-संतोषानंद, सुदेवानंद और गोपालजी और अधिवक्ता रंजन द्विवेदी को एल एन मिश्रा और दो अन्य की हत्या का दोषी ठहराया था और बिहार सरकार को तीनों के कानूनी वारिसों को पांच-पांच लाख रुपये का भुगतान करने का भी निर्देश दिया था.

Posted by Ashish Jha

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