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झारखंड के लेफ्टिनेंट कर्नल जय प्रकाश को राष्ट्रपति करेंगे सम्मानित, जानें किस वजह से मिलेगा यह पुरस्कार

झारखंड के जवान लेफ्टिनेंट कर्नल जय प्रकाश कुमार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सम्मानित करेंगे. ये पुरस्कार 13 नवंबर मिलेगा. उन्हें नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार 2020' से सम्मानित किया जाएगा, बता दें कि ये पुरस्कार उन्हें पर्वत शृंखला माउंट एवरेस्ट अभियान के तहत फतह करने के लिए दिया जा रहा है

Jharkhand News, Bokaro News रांची : सेना मेडल प्राप्त नाइन-डोगरा के लेफ्टिनेंट कर्नल जय प्रकाश कुमार 13 नवंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों ‘तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार 2020’ से सम्मानित होंगे. सम्मान समारोह राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में शाम 04:30 बजे होगा. इसका सीधा प्रसारण डीडी नेशनल पर होगा. लेफ्टिनेंट कर्नल जय प्रकाश ढोरी बस्ती, फुसरो बोकारो के रहनेवाले हैं. उन्हें यह पुरस्कार 2019 में विश्व की सबसे ऊंची पर्वत शृंखला माउंट एवरेस्ट अभियान के तहत उसके 8848 मीटर फतह करने के लिए दिया जा रहा है.

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झारखंड के लेफ्टिनेंट कर्नल जय प्रकाश को राष्ट्रपति करेंगे सम्मानित, जानें किस वजह से मिलेगा यह पुरस्कार 2

लेफ्टिनेंट कर्नल ने माउंट एवरेस्ट अभियान 16 मई 2019 को 08:30 बजे पूरा किया था. प्रसिद्ध पर्वतारोहियों में शामिल लेफ्टिनेंट कर्नल जय प्रकाश ने बीते 13 वर्षों में देश-विदेश की 38 से अधिक पर्वत शृंखलाओं को फतह किया है. पर्वतारोहण और साहसिक खेल के क्षेत्र में खेल मंत्रालय ने इस पुरस्कार के लिए लेफ्टिनेंट कर्नल जय प्रकाश का चयन किया है. यह पुरस्कार हर वर्ष चार श्रेणी – भूमि, वायु, जल और लाइफ टाइम अचीवमेंट के रूप में दिया जाता है. इस वर्ष इस श्रेणी में सात लोग पुरस्कृत होंगे.

2009 से शुरू की थी माउंटेनिंग

लेफ्टिनेंट कर्नल जय प्रकाश कुमार ने पर्वतारोही के तौर पर अपनी यात्रा वर्ष 2009 से शुरू की थी. वह 8000 मीटर से अधिक ऊंचाई की एक, 7000 मीटर की पांच और 5000 से 6000 मीटर से अधिक ऊंची 32 पर्वत शृंखला को फतह कर चुके हैं. इनमें हिमालय, काराकोरम, जांस्कर व लद्दाख पर्वतमाला शामिल हैं. वर्ष 2010 से 2013 में उन्होंने खजाकिस्तान और पोलैंड सेना की टीम के साथ संयुक्त सेना पर्वतारोहण अभियान का नेतृत्व किया था.

वहीं, हाल ही में 18 सितंबर को उत्तराखंड स्थित माउंट सतोपंथ पर डोगरा स्काउट टीम का नेतृत्व कर 7075 मीटर की चढ़ाई पूरी की है. इस दौरान उन्होंने लापता भारतीय सेना पर्वतारोही स्वर्गीय नाइक अमरीश त्यागी के मृत शरीर को खोज निकाला. 19 सितंबर को सुंदर बमक ग्लेशियर से उनके पार्थिव शरीर को 16 वर्ष बाद परिवार को सौंपा गया. साथ ही अक्तूबर में उत्तराखंड के ही माउंट त्रिशूल (7120 मीटर) पर नौसेना के पर्वतारोही दल के मृत शरीर को खोजने का अभियान पूरा किया है.

2004 में भारतीय सैन्य अकादमी से जुड़े

वर्ष 1980 में जन्मे जय प्रकाश कुमार के पिता दयानंद प्रसाद, माता रामकली देवी, एक भाई और तीन बहनें ढोरी बस्ती फुसरो में रहते हैं. पिता का व्यवसाय है. जय प्रकाश कुमार ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सैनिक स्कूल तिलैया से पूरी की. 2003 में मगध यूनिवर्सिटी बोधगया से स्नातक कर 2004 में भारतीय सैन्य अकादमी ज्वाइन किया. 2005 में 9 डोगरा में लेफ्टिनेंट के पद पर इन्फैंटी कमीशन में शामिल हुए.

अपनी 16 वर्ष की सेवा में अब तक जम्मू-कश्मीर, सियाचिन, पंजाब, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, नयी दिल्ली में कार्य कर चुके हैं. पिता दयानंद प्रसाद और मां रामकली देवी उनके इस सम्मान से काफी खुश हैं. पर्वतारोहण के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें पहला सेना पदक 2021, सेना प्रमुख प्रशस्ति पत्र 2015, डीजी एनएसजी प्रशस्ति डिस्क और रोल 2017, थल सेनाध्यक्ष प्रशस्ति पत्र 2018, एनएसजी कमेंडेशन रोल 2019 जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है.

Posted by : Sameer Oraon

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