पटना. बिहार के दो जिलों में तीन दिन में हुई जहरीली शराब से 33 लोगों की मौत के बाद पूरा विपक्ष आक्रोशित हो गया है. विपक्ष इस घटना के बाद बिहार से शराबबंदी कानून को वापस लेने की मांग कर रही है. हालांकि, कई सामाजिक क्षेत्र के लोग इस कानून को बरकरार रखने को कह रहे हैं क्योंकि इससे गरीब तबके को फायदा भी हुआ है. इस बीच इस पर सियासत भी तेज हो गई है. जहरीली शराब से गोपालगंज और बेतिया में हुई मौत के बाद कांग्रेस ने शराबबंदी कानून पर सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की है.
कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने ऑल पार्टी मीटिंग की मांग करते हुए कहा कि जहरीली शराब से होने वाली मौतों पर बिहार में कोई नियंत्रण नहीं है. सरकार को इसपर समीक्षा बैठक बुलानी चाहिए. राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता चितरंजन गगण ने जहरीली शराब कांड को लेकर सरकार पर हमला बोलते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस्तीफे की मांग किया है. उन्होंने कहा कि जहरीली शराब से होने वाली मौत ने बिहार में छोटे मोटे महामारी का रूप ले लिया है. दर्जनों लोग मौत के शिकार हुए हैं. मौत की सही संख्या आ पाना नामुमकिन है. प्रशासन मृतकों के परिवारवालों पर दबाव बनाकर बगैर पोस्टमार्टम कराए दाह संस्कार करवा रहा है. मौत की सही संख्या सामने आएगी तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के तथाकथित शराबबंदी की कलई तो उतर ही जाएगी. स्थानीय प्रशासन पर अलग गाज गिरेगा.
विपक्ष को आड़े हाथों लिया है. बीजेपी (BJP) प्रवक्ता निखिल आनंद (Nikhil Anand) ने जहरीली शराब कांड के बाद आरोप लगाया है कि बिहार में विपक्ष के नेताओं के संरक्षण में शराब का धंधा फल-फूल रहा है. वहीं दूसरी तरफ जेडीयू (JDU) ने कहा है कि जहरीली शराब से हुई मौत की घटना दुखद है लेकिन सरकार शराबबंदी कानून को दृढ़ता से लागू करने के लिए कृत संकल्प है. पार्टी प्रवक्ता अभिषेक झा (Abhishek Jha) ने कहा है कि जहरीली शराब कांड को लेकर अधिकारियों को तमाम तरह के निर्देश जारी किए गए हैं. बिहार में शराबबंदी कानून काफी हद तक प्रभावी है और इसे और भी प्रभावी बनाया जाएगा.