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Bihar News: मुजफ्फरपुर के शाही लीची की मिठास पर खतरा, तेजी से सूख रहे हैं पेड़, जानें कारण…

Bihar News: इन पेड़ो के बचाव का उपाय नहीं हुआ तो बचे पेड़ो को भी बचाना मुश्किल होगा. क्योंकि जैसे - जैसे पानी सूख रहा है उसी रफ्तार में पेड़ों का सूखना भी जारी है. जलजमाव के कारण विभिन्न तरह के कीट व फंगस का प्रकोप भी पेड़ो के सूखने का बड़ा कारण बताया जा रहा है.

Bihar News: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले अपने मिठास के लिए प्रसिद्ध मुजफ्फरपुर के शाही लीची के वजूद पर खतरा मंडरा रहा है. इस बार हुई अत्यधिक बारिश के कारण बगीचों में तीन से चार माह तक लगातार जलजमाव की स्थिति बनी रही. पानी सूखने के साथ ही लीची के पेड़ तेजी से सूख रहे हैं. लीची के साथ आम व कटहल के पेड़ भी उसी रफ्तार में सूख रहे हैं. किसानों की मानें तो जलजमाव वाले इलाके में अनुमानतः 15 से 20 प्रतिशत लीची, आम व कटहल के पेड़ अबतक सूख चूके हैं. पेड़ो के सूखने का यह सिलसिला जारी है. इन पेड़ो के बचाव का उपाय नहीं हुआ तो बचे पेड़ो को भी बचाना मुश्किल होगा. क्योंकि जैसे – जैसे पानी सूख रहा है उसी रफ्तार में पेड़ों का सूखना भी जारी है. जलजमाव के कारण विभिन्न तरह के कीट व फंगस का प्रकोप भी पेड़ो के सूखने का बड़ा कारण बताया जा रहा है.

बंदरा प्रखंड के किसान भूषण सतीश कुमार द्विवेदी बताते हैं कि अधिक समय तक जलजमाव के कारण पेड़ के जड़ों को हवा सहित कई आवश्यक तत्व नहीं मिले. फंगस व कीटों का प्रकोप भी बढ़ गया. पानी सूखने के साथ ही लीची आम व कटहल का नया एवं पुराना सभी तरह का पेड़ तेजी से सूख रहा है. प्रखंड के मुसहरी के राधा नगर के किसान संजय कुमार बताते हैं कि प्रखंड में एवरेज 15 से 20 प्रतिशत पेड़ अबतक सूख गए हैं. कई ऐसे भी इलाके हैं जहां 50 प्रतिशत तक पौधे सूख गए हैं. संजय कुमार ने बताया कि प्रखंड में करीब 3000 पौधे अबतक सूखे होंगे .पानी सूखने के साथ, पेड़ का सूखना जारी है. इसके लिए पौधा संरक्षण विभाग को भी बचाव का प्रयास करना चाहिए. नहीं तो विश्व प्रसिद्ध यहां के शाही लीची का वजूद ही संकट में है.

कांटी प्रखंड के किसान चुलबुल शाही बताते हैं कि जलजमाव से अब तक प्रखंड में 20 प्रतिशत लीची व आम के पेड़ सूख गए हैं. पेड़ों की जड़ों में काली चींटी ने माद बना लिया है, जो पौधों को खा रहा है जिससे पेड़ सूखने लगे हैं. इसमें विभाग को भी किसानों को सहयोग करना चाहिए. कुढ़नी के मोहनपुर के किसान संत सिंह से बताते हैं कि अब तक प्रखंड में 2,000 से अधिक लीची व आम के पेड़ सूख गए होंगे और यह सिलसिला जारी है. मुरौल प्रखंड के किसान भूषण अवध बिहारी ठाकुर बताते हैं कि जलजमाव यहां बड़ी समस्या है जिसके कारण आम व लीची के पौधे सुख रहे हैं. गेहूं का फसल लगाना मुश्किल भी हो गया है. जल निकासी की व्यवस्था जरूरी है . तिरहुत प्रमंडल के डायरेक्टर प्लांट प्रोटेक्शन अविनाश कुमार ने बताया कि आम लीची के पेड़ सूख रहे हैं तो उसका उपाय जल निकासी ही है. इसके बचाव का कोई उपाय नहीं है. वैसे किसान पेड़ों के नीचे ट्राइकोडर्मा दे सकते हैं इसका कुछ लाभ मिल सकता है.

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जो पेड़ सूखे नहीं हैं उन्हें बचाया जा सकता है : एसडी पांडेय

राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुशहरी ( मुजफ्फरपुर ) के निदेशक डॉ एसडी पांडेय ने बताया कि जलजमाव वाले क्षेत्र में बड़ी संख्या में लीची व आम के पेड़ सूखे हैं और सूख भी रहे हैं . कई महीनों तक बगीचों में लगातार जलजमाव रहा है. अभी भी कई इलाकों में जलजमाव है. जिसके कारण पौधों को काफी दिनों तक ऑक्सीजन नहीं मिला. जड़ संड़ जाने से काली हो गई है. पानी निकलने के साथ ही पौधों को आवश्यक तत्व की जरूरत पर रही है. जो पेड़ बचे हुए हैं या फिर पत्तियां झड़ गई है और पेड़ अभी हरे हैं उन्हें बचाने का प्रयास किया जा सकता है .

इसके लिए किसानों को सड़ी गोबर या वर्मी कंपोस्ट में ट्राइकोडरमा मिलाकर देना चाहिए. इसके लिए लीची अनुसंधान केंद्र ट्राइकोडरमा तैयार भी किया है. जो किसान ले जाना चाहते हैं वे लागत मूल्य ₹100 किलो के हिसाब से जा सकते हैं. किसान ले भी जा रहे हैं. एक किलो ट्राइकोडरमा को 4 से 5 किलो सड़ी गोबर या वर्मी कंपोस्ट में मिलाकर चार पांच रोज ढक कर रख देना चाहिए ,फिर उसमें से 1 किलो तैयार ट्राइकोडरमा में 4 से 5 किलो सड़ी गोबर या कंपोस्ट मिलाकर जड़ के नीचे हल्का मिट्टी खोदकर उसे डाल देना चाहिए.

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Posted by: Radheshyam Kushwaha

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