Jharkhand Bus Permit रांची : राज्य में करीब 700 बसें बिना परमिट के चल रही हैं. उक्त बसें झारखंड से बिहार जाने के अलावा राज्य में एक से दूसरे जिले भी जाती हैं. इससे सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है. एक बस का परमिट पांच वर्ष के लिए जारी होता है. इसके एवज में परिवहन विभाग को नौ हजार रुपये मिलते हैं. इस तरह कुल 63 लाख रुपये विभाग को नहीं मिले हैं. स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी और रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी की बैठक नहीं होने के कारण बसों को परमिट नहीं मिल रहा है. परमिट के आधार पर ही बसों के समय, रूट और ठहराव का निर्धारण होता है.
बिना परमिटवाली बसें दुर्घटनाग्रस्त हो जाती हैं, तो उस स्थिति में उस पर सवार यात्रियों और बस स्टाफ को दुर्घटना बीमा का लाभ नहीं मिल सकता है. वर्ष 2019 से अब तक स्टेट और रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी की बैठक नहीं हुई है. अथॉरिटी की बैठक में ही बसों को परमिट दिये जाने का निर्णय लिया जाता है. सदस्यों का मनोनयन नहीं होने के कारण दोनों अथॉरिटी की बैठक नहीं की जा सकती है. सदस्यों के मनोनयन का प्रस्ताव विभाग की ओर से राज्य सरकार को पूर्व में भेजा गया था. लेकिन, इस पर अभी तक निर्णय नहीं हुआ है.
रांची के अलावा पलामू, हजारीबाग, दुमका व सरायकेला में रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी है. सभी में दो-दो सदस्य यानी 10 सदस्यों का मनोनयन होना है. इसके अलावा स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी में भी दो सदस्यों का मनोनयन होना है. इस तरह रीजनल और स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी में 12 सदस्यों का मनोनयन होना है. बैठक में विभागीय अफसरों के अलावा बस एसोसिएशन के पदाधिकारी भाग लेते हैं.
Posted by : Sameer Oraon