Rain in UP: मूलत: झांसी के मोठ ब्लॉक के ग्राम बढोखरी के रहने वाले देव सिंह प्रजापति प्रदेश की राजधानी में अपना व्यवसाय कर घर चला रहे हैं. रविवार को जब बारिश हो रही थी तब सभी गर्मी से राहत पाकर खुश थे. मगर उनका चेहरा मायूस हो गया था. कारण, धान सहित खरीफ की दूसरी फसलों की कटाई कर रहे किसानों के लिए यह बारिश संकट का सबब है. उनका परिवार किसानी करता है. परेशान तो उन्हें होना ही था.
दरअसल, उत्तर प्रदेश के खेतों में अभी धान की कटाई चल रही है. कोई कटाई कर चुका है तो कोई कर रहा है. ऐसे में बारिश और बादल का यह मौसम किसानों के लिये एक बड़ी मुसीबत है. कानपुर स्थित चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञान विभाग ने पहले ही चेता दिया था कि यह बारिश होनी ही है. बारिश हुई भी. मगर यह सही समय नहीं है. राजधानी के सरोजनीनगर क्षेत्र के चंद्रावल गांव में रहने वाले हरिओम यादव कहते हैं, ‘अक्टूबर में हो रही यह बिन मौसम की बरसात को खरीफ की फसल के लिये ज़हर कहना उचित होगा.’
इस बारे में यूपी के फर्रुखाबाद में रहकर खेती करने वाले किसान रवि शर्मा ने ‘प्रभात ख़बर’ को बताया कि किसान हमेशा से ही अपनी एक अलग ही परीक्षा देता रहता है. जब पैदावार अच्छी हो तो कीमत नहीं मिलती. जब पैदावार न हो तो भाव बढ़ जाते हैं. किसान तड़पकर रह जाता है. उस पर से मौसम में हर साल होता यह बदलाव. इस बार की बारिश ने हम किसानों को दिक्कत में डाल दिया है.
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वे आगे कहते हैं, खेत को तैयार करके आलू की बुवाई कर दी थी. अब जिस तरह से पानी बरस रहा है और बादल छाये हुए हैं, उसे देखकर लगता है कि जल्द ही आलू का बीज खेत में ही सड़ जाएगा. फायदा छोड़िये लागत भी नहीं आ पायेगी. जिस हिसाब से पानी गिर रहा है, हमें लगता है कि आलू का बीज खेतों में ही सड़ जाएगा और हमें भारी नुकसान उठाना पड़ेगा. वे बताते हैं कि यही हाल टमाटर की खेती का भी है. अगर यह बारिश जरा और हो गई तो खरीफ की फसल में खासा नुकसान हो जाएगा.
वहीं, कृषक परिवार से ताल्लुक रखने वाले देव कहते हैं कि इस मौसम में हरा मटर, सरसों, चना, मसूर की दाल सहित आलू की बोवाई हो रही है. ऐसे में इस तरह की बारिश बीज को सड़ा सकती है, जिससे हम किसानों को काफी नुकसान होने की सम्भावना है.
Posted By: Achyut Kumar