नयी दिल्ली: देश भर में सरकारी कार्यक्रम के तहत पेयजल के 13 लाख से अधिक नमूनों की जांच में 1.11 लाख से अधिक नमूने अशुद्ध पाये गये. आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गयी है. ये नमूने सरकार के पेयजल जांच और निगरानी कार्यक्रम के तहत लिये गये थे.
जल शक्ति मंत्रालय (Jal Shakti Mantralaya) के कार्यक्रम के तहत जुटाये गये आंकड़ों से पता चला कि पेयजल में अशुद्धियां पृथ्वी की सतह पर प्राकृतिक तौर पर मौजूद रसायन तथा मिनरल जैसे आर्सेनिक (Arsenic), फ्लोराइड (Floride), आयरन (Iron) और यूरेनियम (Uranium) आदि की थी.
इसमें यह भी कहा गया कि जल स्रोतों के निकट भारी धातु की उत्पादन इकाइयों के कारण भी जल में अशुद्धियां हो सकती हैं. मंत्रालय ने कहा कि इसके अलावा जलशोधन संयंत्रों के सही से काम नहीं करने के कारण अथवा जलापूर्ति तंत्र सही नहीं होने से भी पानी में अशुद्धियां हो सकती हैं.
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आंकड़ों के अनुसार, प्रयोगशालाओं में 13,17,028 नमूनों की जांच की गयी, जिनमें से 1,11,474 नमूनों में अशुद्धियां पायी गयीं. एक अधिकारी ने बताया कि अगर पानी का नमूना गुणवत्ता जांच में खरा नहीं उतरता है, तो अधिकारियों को ऑनलाइन इसके बारे में जानकारी दी जा सकती है.
मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अब तक 2,05,941 गांवों के पानी के नमूने 2,011 प्रयोगशालाओं में जांचे गये हैं. गौरतलब है कि जल के नमूनों की जांच का कार्यक्रम जल जीवन मिशन के तहत शुरू किया गया है. इसका मकसद नलों के जरिये घरों तक सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराना है.
भाषा इनपुट के साथ
Posted By: Mithilesh Jha