हैदराबाद : वरिष्ठ माओवादी नेता अक्कीराजू हरगोपाल उर्फ रामकुमार उर्फ आरके का लंबी बीमारी के बाद 58 साल की उम्र में निधन हो गया. उन्होंने छत्तीसगढ़ के दक्षिण बस्तर में अंतिम सांस ली. बताया जा रहा है कि वे लंबे समय से किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त थे. सबसे बड़ी बात यह है कि आरके वर्ष 2004 में तत्कालीन आंध्र प्रदेश की सरकार के साथ शांति वार्ता में माओवादियों का नेतृत्व किया था और उनके सिर पर 97 लाख रुपये का इनाम था.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आरके भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-माओवादी (सीपीआईएम) की केंद्रीय समिति के सदस्य और प्रतिबंधित संगठन की आंध्र-ओडिशा सीमा विशेष क्षेत्रीय समिति के प्रभारी थे. पार्टी के एक प्रमुख विचारक आरके के खिलाफ विभिन्न राज्यों में कई मामले लंबित थे और उन पर 97 लाख रुपये का इनाम था.
रिपोर्ट्स के अनुसार छत्तीसगढ़ पुलिस ने खुफिया एजेंसियों द्वारा वायरलेस इंटरसेप्ट के बाद वरिष्ठ माओवादी नेता की मौत की पुष्टि की. हालांकि, भाकपा-माओवादी ने अभी तक रिपोर्ट की पुष्टि करते हुए एक बयान जारी नहीं किया है.
आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के तुमरुकोटा गांव के रहने वाले आरके ने अविभाजित आंध्र प्रदेश में वाईएस राजशेखर रेड्डी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के साथ शांति वार्ता में तत्कालीन भाकपा-माले पीपुल्स वार का नेतृत्व किया था. बातचीत के दौरान भाकपा-माले पीपुल्स वार का तत्कालीन माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर (एमसीसी) के साथ विलय कर भाकपा-माओवादी का गठन किया गया. हालांकि, यह शांति वार्ता विफल हो गई थी, क्योंकि माओवादियों ने सरकार पर संघर्ष विराम तोड़ने का आरोप लगाते हुए प्रक्रिया से हाथ खींच लिया था.
इसके साथ ही, मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि आरके वर्ष अक्टूबर 2016 में ओडिशा के मलकानगिरि जिले में पुलिस के साथ गोलीबारी में घायल हो गए थे. उस मुठभेड़ में 30 माओवादी मारे गए थे और शुरू में उनके लापता होने की सूचना दी गई थी. नागरिक अधिकार समूहों और माओवादियों से सहानुभूति रखने वालों ने आरोप लगाया था कि उन्हें पुलिस हिरासत में रखा गया था.
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आरके की पत्नी सिरीशा ने हैदराबाद हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी. आंध्र प्रदेश पुलिस ने अदालत को बताया कि आरके उनकी हिरासत में नहीं था. बाद में माओवादियों ने बयान जारी कर कहा कि वह सुरक्षित हैं. अब छत्तीसगढ़ के दक्षिण बस्तर में उनका निधन हो गया.