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LAC पर गलवान जैसी हिंसक झड़प का खतरा बरकरार, 13वें दौर की वार्ता के बावजूद सुधर नहीं रहा है चीन

भविष्य में पूर्वी लद्दाख के वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर टकराव की संभावना और बढ़ सकती है.

नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश समेत देश की उत्तर-पश्चिम से लेकर पूर्वोत्तर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर उपजे सैनिक तनाव को कम करने के लिए भारत-चीन के बीच सैन्य कमांडर स्तर पर अब तक 13 दौर की बातचीत हो गई है. अभी हाल ही में दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच 13वें दौर की बातचीत की गई. बावजूद इसके दोनों देशों के बीच अब भी तनाव जारी है. वजह यह है कि भारत को पलटी मारने वाले चीन की बातों पर भरोसा नहीं है. विशेषज्ञों की मानें तो पूर्वी लद्दाख समेत देश के अन्य सीमावर्ती इलाकों में गलवान घाटी जैसी हिंसक झड़प होने का खतरा अब भी बरकार है.

विशेषज्ञों का कहना है कि भविष्य में पूर्वी लद्दाख के वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर टकराव की संभावना और बढ़ सकती है. यह भी संभव है कि बीजिंग बातचीत को नियमित न रखे. उनका कहना है कि सीमा पर चीन की ओर से सेना की अधिक तैनाती के बाद से डिसइंगेजमेंट प्लान को लेकर भारत बहुत भरोसा नहीं कर पा रहा है. उलटे चीन ने बॉर्डर पर तनाव को लेकर भारत को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि भारत की मांगें ‘अनुचित’ हैं.

द प्रिंट की एक रिपोर्ट अनुसार, भविष्य में गलवान जैसे हिंसक संघर्ष फिर से हो सकते हैं. इस रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि आने वाली सर्दी भारतीय सैनिकों के लिए मुश्किल भरी हो सकती है. मार्च-अप्रैल 2022 में एक बार फिर सीमा पर हिंसक संघर्ष संभव है और चीन अपना नजरिया भी बदलता नजर आ सकता है.

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बता दें कि अप्रैल-मई 2020 से पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत-चीन के सैनिकों के बीच तनाव बना हुआ है. दोनों देशों ने इसे सुलझाने के लिए तीन स्तर पर काम कर रहे हैं. विदेश मंत्रियों के साथ बातचीत, डिप्लोमैटिक बातचीत और मिलिट्री स्तर पर बातचीत की जा रही है. इस सबके साथ ही दोनों देशों के टॉप सुरक्षा सलाहकारों के बीच भी बातचीत हुई है, लेकिन 20 महीने से अधिक बीत जाने के बाद भी मामला सुलझता दिखाई नहीं दे रहा है.

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