Girl Child Birth in India: बेटियों को जन्म देने के मामले में छत्तीसगढ़ ने देश के सभी राज्यों को पीछे छोड़ दिया है. हरियाणा और गुजरात इस मामले में अब भी फिसड्डी हैं. नीति आयोग (NITI Ayog) ने वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें कहा गया है कि देश के 21 बड़े राज्यों में से सिर्फ छत्तीसगढ़ और केरल में 1000 बेटों की तुलना में 950 बेटियों का जन्म होता है. ओड़िशा और पश्चिम बंगाल में पहले लिंगानुपात क्रमश: 950 और 951 था, जो अब घटकर 948 और 937 रह गया है.
भारत के लिए चिंता की बात यह है कि तमाम कोशिशों के बावजूद 12 राज्यों में लिंगानुपात में गिरावट दर्ज की गयी है. यानी पहले जितनी बेटियां जन्म लेतीं थीं, उससे कम जन्म ले रही हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह गर्भपात को माना जाता है. भारत में गर्भ में लिंग की जांच गैरकानूनी है. इसे अपराध की श्रेणी में रखा गया है और पकड़े जाने पर सजा का प्रावधान है. बावजूद इसके, चोरी-छिपे लिंग जांच होती है और उसके आधार पर बड़े पैमाने पर शिशुओं को गर्भ में ही मार डाला जाता है.
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छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा 963 बेटियों का होता है जन्म, हरियाणा में सबसे कम 832
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छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, झारखंड, तमिलनाडु, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा
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छत्तीसगढ़ और केरल में 1000 बेटों के मुकाबले 950 बेटियों का होता है जन्म
जिन 9 बड़े राज्यों में बेटियों की संख्या बढ़ी है, उनमें छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, झारखंड, तमिलनाडु, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा शामिल हैं. छत्तीसगढ़ का आंकड़ा 961 से बढ़कर 963 हुआ है, जबकि मध्यप्रदेश में 919 से बढ़कर 922, झारखंड में 902 से 918, तमिलनाडु में 911 से 915, जम्मू एवं कश्मीर में 899 से 906, पंजाब में 889 से 893, उत्तर प्रदेश में 879 से 882, उत्तराखंड में 844 से 850 एवं हरियाणा में 831 से 832 हो गया है. इन राज्यों में झारखंड को छोड़कर बाकी सभी 8 राज्यों में मामूली रूप से लिंगानुपात में सुधार हुआ है.
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वर्ष 2013-15 और वर्ष 2014-16 की तुलना के आधार पर तैयार की गयी वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 12 बड़े राज्यों में जन्म लेने वाली बेटियों की संख्या घटी है. इन राज्यों में केरल, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, आंध्रप्रदेश, बिहार, तेलंगाना, असम, महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात शामिल हैं.
पश्चिम बंगाल और तेलंगाना दो राज्यों में बेटियों के जन्म लेने की संख्या में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गयी है. वर्ष 2013-15 में बंगाल में 951 बेटियां जन्म लेतीं थीं, जबकि वर्ष 2014-16 में यह संख्या घटक 937 रह गयी. इसी तरह तेलंगाना में यह संख्या 918 से घटकर 901 रह गयी है.
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केरल
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ओड़िशा
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पश्चिम बंगाल
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कर्नाटक
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हिमाचल प्रदेश
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आंध्रप्रदेश
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बिहार
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तेलंगाना
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असम
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महाराष्ट्र
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राजस्थान
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गुजरात
9 राज्यों में बेटियों की संख्या बढ़ी
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छत्तीसगढ़
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मध्यप्रदेश
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झारखंड
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तमिलनाडु
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जम्मू-कश्मीर
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पंजाब
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उत्तर प्रदेश
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उत्तराखंड
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हरियाणा
बिहार के लिंगानुपात में कोई सुधार नहीं हुआ है. उल्टे जन्म लेने वाली बेटियों की संख्या घट गयी है. पहले 1000 बेटे जन्म लेते थे, तो 916 बेटियां पैदा होतीं थीं. अब सिर्फ 908 बेटियों का जन्म हो रहा है.