रिम्स में कार्यरत डॉक्टरों की जासूसी की जायेगी. इस दौरान राजधानी और आसपास के जिलों में निजी प्रैक्टिस करनेवाले डॉक्टरों की पहचान की जायेगी. इस कार्य में गुप्तचर लगाये जायेंगे. इसके लिए निजी डिटेक्टिव एजेंसी की मदद ली जायेगी. निजी प्रैक्टिस करनेवाले डॉक्टरों की पहचान कर उनपर विभागीय कार्रवाई की जायेगी. ये बातें सोमवार को रिम्स की 52वीं शासी परिषद की बैठक के बाद स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने पत्रकाराें से कही.
मंत्री ने कहा कि मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लाकर सरकार डॉक्टरों के मान-सम्मान और हक की बात कर रही है, तो डॉक्टरों का भी कर्तव्य है कि वे ईमानदारी से अपनी सेवा दें. कई डॉक्टरों के खिलाफ निजी प्रैक्टिस की लगातार शिकायत मिलने के बाद सख्ती करने का फैसला लिया गया है. हालांकि, शासी परिषद की बैठक में इस निर्णय पर विरोध भी हुआ, लेकिन अंत में सहमति बन गयी.
उन्होंने बताया कि रिम्स को बेहतर बनाने के लिए 1200 करोड़ रुपये से तीन बिल्डिंग का निर्माण किया जायेगा. इसमें ओपीडी ब्लॉक, मातृ शिशु विभाग और सुपर स्पेशियलिटी विंग का विस्तार किया जायेगा. वहीं, रिम्स में 10 साल से ऊपर की सेवा देनेवाले कर्मचारियों के समायोजन पर निर्णय भी लिया गया.
सांसद संजय सेठ ने शासी परिषद की बैठक के बाद पत्रकारों से कहा कि रिम्स की बेहतरी के लिए जो मुद्दा था, उस पर मेरी सहमति है. न्यूरो सर्जरी में मरीज फर्श पर है, ऐसा देश के किसी अस्पताल में नहीं है. इसे ठीक करना होगा. सीटी स्कैन जांच के लिए लोगों को ट्रॉमा सेंटर पर जाना होगा, जाे मुश्किल भरा है. दूसरी सीटी स्कैन मशीन की खरीद शीघ्र कर लेनी चाहिए थी. मातृ शिशु सुपरस्पेशियलिटी बनाना जरूरी है. डॉक्टर क्वार्टर भी जर्जर है. डॉक्टरों के निजी प्रैक्टिस के लिए गुप्तचर लगाना गलत है. उनका भी मान-सम्मान है.