नई दिल्ली : देश में कोयल की भारी कमी के मद्देनजर सरकार ने एक स्पेशल कोर मैनेजमेंट टीम का गठन किया है. यह टीम बारीकी से कोल स्टॉक की निगरानी और उसका प्रबंध कर रही है. यहां तक कि खुद पावर मिनिस्ट्री कोल सप्लाई में सुधार के लिए लगातार मॉनिटरिंग कर रही है. थर्मल पावर प्लांटों में कोल सप्लाई में सुधार के लिए पावर मिनिस्ट्री कोल इंडिया और रेलवे को आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए हैं.
पावर मिनिस्ट्री की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, कोल मिनिस्ट्री और कोल इंडिया ने यह भरोसा दिया है कि ये दोनों अगले तीन दिन में पावर सेक्टर को रोजाना तकरीबन 1.6 मीट्रिक टन तक कोयला भेजने की लिमिट को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. अब ये दोनों रोजाना करीब 1.7 मीट्रिक टन करने का प्रयास कर रहे हैं. इससे आने वाले दिनों में थर्मल पावर प्लांटों में कोल स्टॉक्स बढ़ाने में मदद मिलेगी.
इसके साथ ही, देश के कई राज्यों में मानसून के दौरान रिकॉर्ड बारिश होने की वजह से कोयले के घरेलू उत्पादन में भी गिरावट दर्ज की गई है. बारिश के कारण उत्पादन और सप्लाई पूरी तरह से बाधित हुए हैं. यही वजह रही कि देश के ज्यादातर थर्मल पावर प्लांटों को समय से पहले कोयले की आपूर्ति नहीं की जा सकी, जिसका असर अब दिखाई दे रहा है.
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बताया यह जा रहा है कि दूसरे देशों से आयातित कोयले की कीमतों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इसकी वजह से कोयले के आयात में भारी कमी आई. इसका प्रभाव थर्मल पावर प्लांटों से उत्पादित होने वाली बिजली पर भी पड़ रहा है. सूत्रों के हवाले से मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, कोयले की कमी की वजह से दिल्ली और पंजाब समेत कई राज्यों में बिजली संकट बरकरार है.
पावर मिनिस्ट्री की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, देश के थर्मल पावर प्लांटों में कोल स्टॉक्स में कमी आने के पीछे चार अहम कारण हैं.
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अर्थव्यवस्था में सुधार आने की वजह से बिजली की मांगों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज की गई.
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सितंबर महीने के दौरान भारी बारिश की वजह से कोल माइंस से उत्पादन और आपूर्ति बाधित रही.
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दूसरे देशों से आयातित कोयले की कीमतों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी के कारण आयातित कोयला आधारित पावर प्लांटों से बिजली उत्पादन में भारी कमी आई, जिससे घरेलू कोयले पर अधिक निर्भरता हुई.
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कोयले का उत्पादन करने वाले कुछ राज्यों जैसे महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश की कोयला कंपनियों का भारी बकाया भी इस संकट का अहम कारक है.