पटना . बिहार में विधानसभा की दो सीटों पर होने जा रहे उपचुनाव को लेकर सियासत चरम पर है. एक ओर जहां नीतीश कुमार ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है, वहीं इधर महागठबंधन में टूट को कमतर करने का राजद लगातार प्रयास कर रहा है.
कांग्रेस के तेवर और उसके नेताओं के बयानों की धार को कुंध करने के लिए मंगलवार को राजद नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने कांग्रेस के उम्मीवार का चुनावी मैदान में उतरना खानापूर्ति बताया और इस दोस्ताना संघर्ष बता कर उसपर तंज कसा. तेजस्वी ने कहा कि राजद ने कांग्रेस प्रभारी भक्तचरण दास को अपने फैसले से पहले ही अवगत करा दिया था.
ऐसे में गठबंधन टूटने की बात एकदम गलत है. यहसब सत्ता पक्ष का बयान है. बिहार में महागठबंधन कहीं नहीं बिखरा है. तेजस्वी यादव ने स्पष्ट तौर पर कह दिया कि उपचुनाव में इस तरह के दोस्ताना मुकाबले के लिए राजद तैयार हैं.
यह पूछे जाने पर कि क्या इससे महागठबंधन टूट नहीं जाएगा, तेजस्वी ने कहा कि उपचुनाव में ऐसे मुकाबले होते हैं. हम दोस्ताना मुकाबले के लिए तैयार हैं. हालांकि तेजस्वी यादव ने इस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया कि वह कांग्रेस के खिलाफ चुनाव प्रचार में बोलेंगे या नहीं.
दरअसल राजद दास्ताना संघर्ष बताकर कांग्रेस की दावेदारी को हल्का करना चाहती है और इसे महज औपचारिकता बता अपने वोटबैंक को बांधने का प्रयास कर रही है, वहीं कांग्रेस का दावा है कि इस चुनाव में वो पूरी ताकत से लड़ेगी और मुख्य मुकाबले में होगी.
इसके पीछे कांग्रेस का एक तर्क तो यह है कि उसका वो पारंपरिक सीट है. दूसरा कन्हैया के बाद अगर पप्पू यादव के कांग्रेस के साथ आ गये तो युवाओं में कांग्रेस की पकड़ मजबूत हो जायेगी, ऐसे में राजद मुख्य मुकाबले में शायद ही रह पायेगा.
दरअसल पिछले विधानसभा चुनाव में कुशेश्वरस्थान सीट पर कांग्रेस ने उम्मीदवार दिया था तो तारापुर से राजद ने. हालांकि दोनों सीटों पर हार ही मिली थी. इन दोनों सीटों पर चुने गये जदयू विधायकों के निधन के बाद उप चुनाव हो रहा है.
कांग्रेस को उम्मीद थी कि 2020 के विधानसभा चुनाव की तरह इस उप चुनाव में भी राजद उसके लिए ये सीट छोड़ेगी. लेकिन राजद ने तारापुर के साथ साथ कुशेश्वरस्थान से भी उम्मीदवारों के नाम का एलान कर दिया.
Posted by Ashish Jha