नई दिल्ली/चंडीगढ़ : क्रिकेटर से राजनेता बने नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है, लेकिन पार्टी आलाकमान ने अभी तक उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया है. यह बात दीगर है कि अपना इस्तीफा देने के बाद सिद्धू अब भी बदस्तूर सरकार के फैसलों पर पुरजोर विरोध जता रहे हैं. ऐसे में आलाकमान ने अपने प्रतिनिधि के जरिए उन्हें यह संदेश भिजवाया है कि वे सार्वजनिक तरीके से सरकार के फैसलों का विरोध करना बंद करें. वे पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं. अगर वह प्रदेश अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने पर अड़े रहे, तो प्लान-बी को अमलीजामा पहना दिया जाएगा.
मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, कांग्रेस आलाकमान ने पार्टी की पंजाब इकाई में जारी अंदरुनी कलह को सुलझाने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है. इस समिति में पार्टी आलाकमान के प्रतिनिधि के तौर पर हरीश चौधरी को नियुक्त किया गया है. आलाकमान के प्रतिनिधि हरीश चौधरी ने सिद्धू के ताजा ट्वीट पर ऐतराज करते हुए हिदायत दी है कि कांग्रेस के आंतरिक लोकतंत्र सभी को बोलने की इजाजत देते है, लेकिन उन्हें पार्टी फोरम पर अपनी बात रखनी होगी.
उन्होंने आगे कहा कि सार्वजनिक तौर पर सरकार के फैसलों पर अंगुली उठाने से उन्हें बचना चाहिए. आलाकमान के प्रतिनिधि ने कहा कि पार्टी में यह पहले ही तय हो चुका है कि अब किसी भी प्रशासनिक फैसले पर तीन सदस्यीय समिति फैसला करेगी. इसमें सिद्धू को भी शामिल किया गया है. उन्होंने कहा कि हमें अगर कड़े फैसले भी लेने पड़ेंगे, तो लिया जाएगा. पार्टी में पहले भी ऐसे फैसले होते आए हैं और भविष्य में भी ऐसे निर्णय किए जाएंगे.
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हिंदी के अखबार अमर उजाला से बातचीत के दौरान हरीश चौधरी ने पार्टी का प्रदेश प्रभारी बनाए जाने के मसले पर कहा कि अभी मैं राजस्थान में राजस्व मंत्री हूं. आलाकमान जो भी आदेश देगा, मैं उसका पालन करूंगा. पार्टी की पंजाब इकाई में नेताओं की आपसी कलह के बारे में उन्होंने कहा कि पंजाब से दूर बैठे व्यक्ति को यह अंदाजा लग सकता है कि इससे पार्टी कमजोर हुई है, लेकिन ऐसा नहीं है. पंजाब में पार्टी अब भी मजबूत है.