जमालपुर स्थित पूर्व रेलवे वर्कशॉप में हुए करोड़ों के घोटाले के मामले में मुख्य आरोपित सीनियर सेक्शन इंजीनियर चंदेश्वर प्रसाद यादव की संपत्ति का पता चलने के बाद सभी हैरान हैं. रेलवे वर्कशॉप में कबाड़ डिब्बों को बेचने में गबन करके आरोपित इंजीनियर ने करोड़ों की संपत्ति जमा कर ली थी. ईडी ने कार्रवाई करते हुए 3.44 करोड़ की संपत्ति को जब्त किया है.
ईडी ने मंगलवार को जमालपुर स्थित पूर्व रेलवे वर्कशॉप के सीनियर सेक्शन इंजीनियर चंदेश्वर प्रसाद यादव के ठिकानों पर रेड मारा और करोड़ों की संपत्ति जब्त की. जिन चल-अचल संपत्तियों को जब्त किया गया है, उसका सरकारी मूल्य तीन करोड़ 98 लाख से ज्यादा है. वहीं बाजार मुल्य इससे कई गुणा अधिक बताया जा रहा है. आरोपित की संपत्तियों का खुलासा वर्कशॉप में हुए घोटाले के मामले में हुई कार्रवाई के बाद चला है.
दरअसल, चंदेश्वर प्रसाद यादव जमालपुर वर्कशॉप में सीनियर सेक्शन इंजीनियर के तौर पर जनवरी 2013 से दिसंबर 2017 तक तैनात थे. सैलरी के रूप में इन्हें 38 लाख के करीब रूपये मिले होंगे. लेकिन इतनी ही अवधि में चंदेश्वर यादव ने तीन करोड् रुपये से अधिक की संपत्ति जमा कर ली. बताया जा रहा है कि चार साल में वेतन से आठ गुणा की अवैध संपत्ति वर्कशॉप में हुए गबन से ही बनाई गई हैं.
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आरोपित इंजीनियर ने रेलवे के कबाड़ डिब्बों, स्क्रैप और अन्य सामानों का गबन किया. जिसमें पटना के एक कारोबारी का भी साथ मिलने की बात सामने आ रही है. पटना स्थित कंपनी श्री महारानी स्टील के मालिक देवेश कुमार के साथ लेन-देन से जुड़े दर्जनों साक्ष्य मिले हैं. इडी के स्तर से पीएमएलए के तहत की गयी इस कार्रवाई में आरोपित इंजीनियर के दो मकान और आधा दर्जन से ज्यादा प्लॉट समेत अन्य सभी संपत्तियों को जब्त कर लिया गया है. जो संपत्ति जब्त की गयी है, उसमें अधिकतर आरोपित ने अपनी पत्नी और बेटों के नाम करा रखा था.
जांच के दौरान सात म्यूचुअल फंड में 35 लाख 85 हजार से ज्यादा के निवेश, एक करोड़ 64 लाख से ज्यादा के 29 फिक्स डिपॉजिट के कागजात और करीब आठ लाख की चार इंश्योरेंस पॉलिसी मिली है. इसके अलावा दर्जनभर से ज्यादा बैंक खातों में उसकी पत्नी और बेटों के नाम से 17 लाख 25 हजार रुपये जमा हैं. इन सभी अचल संपत्तियों को जब्त कर लिया गया है.
बता दें कि अब तक की जांच यह पता चला कि जमालपुर के वर्कशॉप में 34 करोड़ से ज्यादा का घोटाला हुआ है. सीबीआई ने कुछ समय पहले जांच शुरू की और अब इस मामले को ईडी ने अपने पास लिया है और जांच जारी है. कार्रवाई के दौरान ईडी की दर्जन बार से ज्यादा हुई पूछताछ में न तो इंजीनियर चंदेश्वर प्रसाद यादव स्वयं और न ही उनके परिवार का कोई सदस्य ही इस राशि के वैध स्रोत के बारे में किसी तरह की जानकारी दे पाये. फिलहाल आरोपित इंजीनियर जेल में है और कुछ साल पहले वो नौकरी से रिटायर भी हो चुका है.
Posted By: Thakur Shaktilochan