पंजाब कांग्रेस में कैबिनेट विस्तार को लेकर मंत्रियों के नामों को लेकर राजनीति तेज हो गयी है. अभी भी कैबिनेट में मंत्रियों के नाम को लेकर चर्चा तेज है. कौन कैबिनेट में शामिल होगा, कौन नहीं इसे लेकर अब भी पार्टी में विरोध, समर्थन जारी है. कैप्टन कैबिनेट से इस्तीफा देने वाले राणा गुरजीत के मंत्री बनाये जाने की चर्चा तेज है. दोआबा के 7 नेताओं ने राणा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
राणा गुरजीत को मंत्री ना बनाने के लिए नेताओं ने चिट्ठी लिखी है. जिन्होंने मोरचा खोला है उनमें विधायक बावा हैनरी, नवतेज चीमा, बलविंदर धालीवाल, राजकुमार चब्बेवाल, पवन आदिया, सुखपाल सिंह खैहरा के साथ पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रधान मोहिंदर सिंह केपी शामिल हैं.
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को लिखी गयी चिट्ठी में नेताओं ने कहा है कि राणा के मंत्री बनने से सरकार और पार्टी दोनों की छवि खराब होगी. इससे पार्टी को नुकसान होगा. चर्चा है कि इस चिट्ठी के बाद राणा का विरोध कर रहे नेता सिद्धू से मुलाकात कर सकते हैं.
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राणा गुरजीत सिंह पर आरोप है कि उन्होंने अपने नौकर के नाम पर रेत खनन का काम शुरू किया था. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस मामले की जांच करायी और उन्हें आरोपों से मुक्त कर दिया गया .विपक्षी दलों के विरोध के बाद राणा को इस्तीफा देना पड़ा. 10 महीने में ही राणा को मंत्री पद खोना पड़ा. अब उनकी वापसी की चर्चा है जिससे पार्टी के ही कुछ नेता नाराज हैं.
एक गुट राणा का विरोध कर रहा है तो दूसरा गुट समर्थन में खड़ा है. विधायक लाडी शेरोवालिया, सुशील रिंकू जैसे कुछ नाम हैं, जो राणा को मंत्री बनाने के समर्थन में हैं. इस पूरे मामले पर अब पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी और नवजोत सिंह सिद्धू को फैसला लेना है.