पटना में जिम ट्रेनर बिक्रम सिंह राजपूत पर जानलेवा हमला के आरोप में बेऊर जेल में बंद डॉक्टर राजीव कुमार सिंह व उनकी पत्नी खुशबू सिंह की आरटीपीसीआर जांच निगेटिव आयी है. इसके बाद खुशबू सिंह को महिला वार्ड संख्या तीन में शिफ्ट कर दिया गया है. जबकि राजीव सिंह को अभी आमद वार्ड में ही रखा गया है. आरटीपीसीआर जांच के लिए दोनों का सैंपल शुक्रवार को ही लिया गया था.
इसके अलावा मिहिर सिंह व कांट्रैक्ट किलर आर्यन, अमन व शमशाद को आमद वार्ड के ही अलग-अलग खंड में रखा गया है. सुबह में दोनों को जेल प्रशासन की ओर से नाश्ते में चना व गुड़ खाने को दिया गया. इसके बाद दोपहर में चावल-दाल व आलू की भुजिया दी गयी. जेल में अभी केवल अंडा करी, चावल और रोटी बंदियों को दी जाती है. मांस, मछली नवंबर माह से दिया जायेगा. इसके कारण उन दोनों को भी रात में अंडा-करी दी गयी. लेकिन उन लोगों ने शाकाहारी भोजन दाल-रोटी और सब्जी खायी.
हर रविवार को जेल कार्यालय में पति-पत्नी को मिलाने का नियम है. इसके तहत राजीव सिंह व खुशबू सिंह मिल सकते हैं. लेकिन इसके लिए आवेदन देना पड़ता है. अभी दोनों की ओर से किसी प्रकार का आवेदन जेल प्रशासन को प्राप्त नहीं हुआ है. जिसके कारण रविवार को वे लोग आपस में नहीं मिल सकते हैं.
जिम ट्रेनर बिक्रम सिंह राजपूत पर जानलेवा हमले की घटना के बाद नामजद आरोपित बने डॉक्टर राजीव कुमार सिंह व उनकी पत्नी खुशबू सिंह ने पांच दिनों तक पुलिस को छकाया. पुलिस ने उन दोनों से पांच-छह बार पूछताछ की थी. लेकिन, हर बार उन दोनों ने इस घटना की जानकारी होने से इन्कार कर दिया. पुलिस के पास भी कोई ऐसा साक्ष्य नहीं था, जिससे डॉक्टर व उनकी पत्नी को गिरफ्तार किया जा सके.
गिरफ्तार होने से पहले तक राजीव व खुशबू केवल एक ही रट लगाये थी कि उन लोगों को फंसाने की साजिश बिक्रम कर रहा है. राजीव ने तो अपने फेसबुक एकाउंट पर लिखा भी था कि उनसे इस घटना का कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने बताया था कि 1100 कॉल किसी महिला या पुरुष के चरित्र का निर्णय नहीं करता. लॉकडाउन के दौरान सभी लोग घर में ही ट्रेनिंग लेते थे. वह किस मकसद से आपके घर आया है, यह कैसे पता किया जा सकता है.
राजीव सिंह एक पार्टी से जुड़े थे. उनके इस केस में नाम आने के बाद ही पद से हटाया गया. लेकिन, उनकी जान-पहचान कई बड़े नेताओं से थी. उन्हें भी राजीव सिंह ने केवल यह बताया कि विक्रम उन्हें फंसाने की कोशिश कर रहा है.
कुछ राजनैतिक लोग राजीव की बातों में भी आ गये और पुलिस को मदद करने के लिए फोन कर दिया. राजीव सिंह की कई अधिकारियों से भी दोस्ती थी. पुलिस ने दोनों के खिलाफ मामला तो दर्ज कर लिया, लेकिन उसके पास किसी प्रकार का साक्ष्य नहीं था, जिसके कारण पांच दिनों तक राजीव सिंह व खुशबू सिंह पर हाथ नहीं डाल पाये.
Posted by: Radheshyam kushwaha