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नवरुणा के परिजनों की मांग- सीलबंद लिफाफे में सौंपी गई जांच की रिपोर्ट हमें दिया जाए, CBI ने किया विरोध

Navruna Hatyakand Muzaffarpur: परिजन के वकील शरद सिन्हा ने कहा कि जब अनुसंधान रिपोर्ट से अलग कुछ नहीं है, तो सीबीआइ उस बंद लिफाफे को संचिका पर लाने से क्यों कतरा रही है. वह संचिका का पार्ट है.

बहुचर्चित नवरुणा हत्याकांड में एसीजेएम-1 (पश्चिमी) सह विशेष न्यायालय सीबीआइ कोर्ट में शुक्रवार को बहस हुई. सीबीआइ के स्पेशल पीपी विनय कुमार सिंह ने कहा कि नवरुणा के पिता अतुल चक्रवर्ती के अधिवक्ता शरद सिन्हा ने आवेदन देकर कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ को जो तीन सील बंद लिफाफा लौटाया था, वह अनुसंधान का पार्ट है. इसे संचिका पर लाया जाये.

इस संबंध में मेरा कहना है कि लिखित जवाब दाखिल है. उस लिफाफे में भी वही है, जो अनुसंधान के रिपोर्ट में है. अलग से कुछ भी नहीं है. इस पर अधिवक्ता शरद सिन्हा ने कहा कि जब अनुसंधान रिपोर्ट से अलग कुछ नहीं है, तो सीबीआइ उस बंद लिफाफे को संचिका पर लाने से क्यों कतरा रही है. वह संचिका का पार्ट है. दोनों पक्ष की बहस सुनने के बाद न्यायालय ने कानून के बिंदु पर सुनवाई के लिए 29 अक्टूबर की तिथि निर्धारित की है.

नाले से मिला कंकाल व हड्डियां नवरुणा की ही थीं- फाइनल रिपोर्ट में सीबीआई ने कहा है कि चक्रवर्ती लेन के नाले से 26 नवंबर 2012 को मिले कंकाल और हड्डियों की डीएनए जांच करायी गयी थी. इसका मिलान अतुल चक्रवर्ती के डीएनए से किया गया. इससे यह स्पष्ट हो गया है कि नाले से मिली हड्डियां और कंकाल नवरुणा के ही थे. इस तरह अपहरण के बाद नवरुणा की हत्या कर दी गयी और शव को नाले में सड़ा-गला दिया गया.

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