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Exclusive: टीवी की वजह से ही इंटरनेशनल फ़िल्म का हिस्सा बना-सिद्धांत कार्णिक

अभिनेता सिद्धांत कार्णिक फ़िल्म एंड टुमारो यु विल बी डेड से इंटरनेशनल फिल्मों में अपना डेब्यू कर रहे हैं. फ़िल्म में अपने किरदार के बारे में एक्टर ने बात की. साथ ही बताया कि किस तरह फिल्म के लिए उन्होंने तैयारी किया.

टीवी इंडस्ट्री का पॉपुलर चेहरा अभिनेता सिद्धांत कार्णिक फ़िल्म एंड टुमारो यु विल बी डेड से इंटरनेशनल फिल्मों में अपना डेब्यू कर रहे हैं. फ़िल्म में सिद्धांत तालिबानी कमांडर की भूमिका में है. ज्यूरिक फ़िल्म फेस्टिवल्स में उनकी इस फ़िल्म की स्क्रीनिंग होगी. उनकी इस फ़िल्म और करियर पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत

एक एक्टर के तौर पर तालिबानी बनने का शुरुआती प्रोसेस क्या रहा था?

सबसे पहले मुझे अपने नेगेटिव सोच को अप्रोच करना पड़ा. जो हम सभी में तालिबान को लेकर है. उसे अपने जेहन से निकालना था. उसके लिए मैंने अपने पिता से बात की. मेरे पिता आर्मी में ब्रिगेडियर रह चुके हैं. उन्होंने काफी अफगान के साथ भी लड़ा हैं. उन्होंने काफी रिसर्च तालिबान के बारे में की थी. उन्होंने मुझे ये बात कही कि एक देश का फ्रीडम फाइटर दूसरे देश के लिए आतंकवादी हो सकता है. जब मैंने उनसे ये सब बातें सुनी तो नेगेटिव चीज़ें जो भी तालिबान को लेकर थी. वो मेरे मन से हट गयी. फिर मैंने रिसर्च किया कि तालिबान है कौन.कितने समय से वो हैं. पहला ये प्रोसेस था दूसरा मैंने बहुत सारी डॉक्यूमेंट्रीज देखी तालिबान के बारे में. मैंने इस बात का पूरा ध्यान दिया कि मैं कोई हॉलीवुड फिल्म ना देखूं क्योंकि उनकी फिल्मों में तालिबानी सिर्फ आतंकी होते हैं.

यह फ़िल्म असल घटना पर आधारित है ऐसे में अपने किरदार के लिए क्या असल लोगों से भी मिलना जुलना हुआ?

नज़र जान जो मैं किरदार कर रहा हूं वो रियल लाइफ किरदार है. उन्होंने ही स्विस सरकार से तालिबान की ओर से बातचीत की थी जब स्विस दंपति का अपहरण तालिबानियों ने किया था लेकिन 2018 के ड्रोन स्ट्राइक में वो मारे गए थे तो ऐसा नहीं था कि मैं उनको किसी तरह अप्रोच कर सकूं तो मुझे बहुत सारी चीज़ें क्रिएट करनी पड़ी. जायल फोरमैन एक एक्टिंग कोच हैं यूके में. उनके साथ हमने काफी वर्कशॉप किया. एक अफगान कोच भी थे जो डायलॉग डिलीवरी पर काम करते थे. पश्तो भाषा सीखी इसके साथ ही अफगान अग्रेंजी में कैसे बात करेगा. किस एक्सेंट के साथ बात करेगा. उस पर भी काम किया. बॉडी लैंग्वेज पर भी काम किया. मेकअप करने में डेढ़ घंटे मुझे लगते थे. लंबे बाल लंबी दाढ़ी,कफ्तान पहने हुए,एक कंधे पर एके 47 दूसरे पर नाइन एमएम.धूल मिट्टी में सना हुआ. ये सब मिलाकर ही मैं अपने किरदार को जी पाया.

तालिबान की जो मौजूदा हालात है उस पर आप क्या राय रखते हैं?

मैंने इससे पहले अपना नजरिया एक एक्टर के तौर पर बताया. सिद्धांत कार्णिक क्या सोचता है इसके बारे में वो मैं अब आपको बताता हूं. मेरा मानना है कि एक ग्लोबल सिटीजन के तौर पर हमारी जिम्मेदारी है ये जानना कि अफगानिस्तान में हो क्या रहा है. किसी भी एक माध्यम की बात हमें नहीं सुननी चाहिए. 15 साल पहले सिर्फ बीबीसी या सीएनएन हुआ करता था. उसके ज़रिए ही हमें इंटरनेशनल खबरें मिलती थी. उसके ज़रिए ही हम अपनी राय बनाते थे अभी ऐसा नहीं है. अभी सोशल मीडिया के ज़रिए हमें ऑन ग्राउंड हकीकत क्या है मालूम पड़ जाएगा. मैं नहीं कहता आप ये मानो या वो नहीं. आप खुद इंटरनेट के माध्यम से सबकुछ जान सकते हैं और अपनी राय बना सकते हैं.

इस फ़िल्म की शूटिंग कहाँ हुई है?

ये फ़िल्म असल घटना पर आधारित है. बलूचिस्तान की कहानी है. वहां पर हम शूट नहीं कर सकते थे भारत में उदयपुर के थोड़ा बाहर जो पहाड़ी इलाके हैं. वे बलूचिस्तान से मिलते जुलते हैं. 2020 के फरवरी में हमने शूटिंग शुरू की थी. 10 दिन शूटिंग को बचे थे कि कोविड आ गया और शूटिंग रोकनी पड़ी.बाद में ये 10 दिन की शूटिंग स्पेन में हुई.

ज्यूरिक फेस्टिवल से जुड़ी क्या तैयारियां हैं?

ज्यूरिक फेस्टिवल जैसे पहले फ़िल्म फेस्टिवल्स हुआ करते थे. वैसे ही होगा क्योंकि काफी सारा यूरोप खुल गया है. मैं भी इसमें शामिल होने जा रहा हूं. स्विट्ज़रलैंड के प्रेसिडेंट और ज्यूरिक के मेयर भी इस फ़िल्म को हमारे साथ देखेंगे.मेरे लिए बहुत बड़ी बात है. सिनेमा में पिक्चर देखना वो भी दूसरे देश में वहां के प्रेसिडेंट के साथ. मुझे लगता है कि पापा अब शारीरिक तौर भले ही हमारे साथ नहीं हैं लेकिन ऊपर जाकर वह मेरे लिए चीज़ें और खास बना रहे हैं.

एक एक्टर के तौर आपकी प्राथमिकताएं अब क्या इंटरनॅशनल सिनेमा रहेगा?

हां क्योंकि अलग अलग लोगों के साथ काम करने से आपको बहुत कुछ सीखने को मिलता है. मैं थिएटर को बहुत एन्जॉय करता हूं. 16 साल मैंने टीवी किया है. टीवी ने मुझे बहुत कुछ सीखाया. उसकी वजह से ही मुझे इंटरनेशल प्रोजेक्ट् मिला है. टीवी में हमलोग एक साथ 15 सीन याद कर लेते थे. वो सब अब काम आया है. मुझे टीवी से शिकायत नहीं है. उसी से सीखा अब काम आ रहा है.मौजूदा वक्त ऐसा है कि आप माध्यम मत देखिए बस काम करते रहिए. सभी माध्यम के दरवाजे सभी के लिए खुल गए हैं. बस आपको काम आना चाहिए.

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