न्यूयार्क: भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा है कि अफगानिस्तान में सत्ता हस्तांतरण बातचीत के बगैर और गैर-समावेशी तरीके से हो रहा है. इससे इसकी स्वीकार्यता पर सवाल खड़े होते हैं. विदेश मंत्रालय में भारत की सचिव (पश्चिम) रीनत संधू ने गुरुवार को लोकतंत्रों के समुदाय के 10वें मंत्रालयी सम्मेलन ‘डेमोक्रेसी ऐंड रिसाइलेंस: शेयर्ड गोल्स’ में कहा कि यह जरूरी है कि अफगानिस्तान में नयी सरकार व्यापक आधार वाली और समावेशी, महिलाओं और अल्पसंख्यकों सहित अफगान समाज के सभी हिस्सों का नेतृत्व करने वाली हो.
रीनत संधू ने कहा, ‘पिछले महीने से हमने अफगानिस्तान में नाटकीय बदलाव देखे हैं. बातचीत के बगैर और गैर-समावेशी तरीके से सत्ता हस्तांतरण हो रहा है, जो इसकी स्वीकार्यता पर सवाल खड़े करता है.’
उन्होंने पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘जो आतंक का इस्तेमाल करते हैं और उसे पनाह देते हैं, लोकतांत्रिक मूल्यों या संस्थानों का सम्मान नहीं कर सकते. बहुलवाद, विविधता, मानवाधिकार तथा स्वतंत्रता उनके लिए कोई मायने नहीं रखते हैं, जो आतंक और कट्टरपंथ का उपदेश देते हैं. लोकतंत्रों का समुदाय होने के तौर पर हमें अवश्य ही आतंकवाद और आतंकी गतिवधियों को अंजाम देने वालों के खिलाफ दृढ़ता से खड़ा रहना चाहिए.’
संधू ने इस पर जोर दिया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अवश्य याद रखना चाहिए कि लोकतांत्रिक शासन न सिर्फ राष्ट्रीय या स्थानीय स्तरों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि समान रूप से वैश्विक मंच के लिए भी जरूरी है.’
उन्होंने विश्व संगठन में तत्काल सुधारों की जरूरत पर जोर देते हुए कहा, ‘हमें सुधार के साथ बहुपक्षवाद की जरूरत है, जो समकालिक वास्तविकताओं को प्रदर्शित करे और आज की चुनौतियों का हल करने के लिए उपयुक्त हो. इस बदलाव की शुरुआत यहां संयुक्त राष्ट्र से होनी चाहिए.’
संधू ने कहा कि विश्व कोविड-19 महामारी से निबटने और इससे उबरने की कोशिश कर रहा है, ऐसे में कोविड बाद की दुनिया समावेशिता, निष्पक्षता, समानता और मानवता पर आधारित वैश्वीकरण के एक नये दृष्टिकोण की मांग करती है.
Posted By: Mithilesh Jha