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सिलम बना गुमला जिला का पहला गांव, जहां नहीं है कोई समस्या, जानें महज कुछ साल में कैसे बदल गयी तस्वीर

सिलम बना गुमला जिला का पहला गांव, जहां हर घर में बिजली, पानी व शौचालय है. गुमला हड़िया-दारू की बिक्री पर है रोक

गुमला : हम अक्सर सुनते हैं. कहते भी हैं. गांव में पानी, बिजली, शौचालय व सड़क की समस्या है. हर दिन किसी ने किसी गांव की समस्या बीडीओ व डीसी के पास पहुंचती है. अब तो ट्विटर के माध्यम से सीएम, मंत्री तक मामला पहुंच रहा है. परंतु इसके ठीक विपरीत रायडीह प्रखंड में सिलम गांव है. यह गुमला जिला का पहला गांव है. जहां इस प्रकार की कोई समस्या नहीं है.

सरकार की मूलभूत सुविधा पानी, बिजली, शौचालय व सड़क इस गांव में है. 1000 आबादी वाले इस गांव में हर घर में बिजली है. शौचालय है. पीने के पानी की व्यवस्था है. गांव में सोलर जलमीनार बनी है, जहां से 24 घंटा पीने के लिए पानी मिलता है. यहां तक हर गली कूचे में पीसीसी व पेवर ब्लॉक की सड़क है. झारखंड राज्य में इस गांव की पहचान मुर्गीपालन से होती है.

मुर्गीपालन से बदली गांव की तसवीर :

सिलम गांव की महिलाओं ने स्वावलंबी की राह दिखायी है. इस गांव से शुरू हुई मुर्गीपालन आज पूरे जिले में एक व्यवसाय का रूप ले लिया है. सिलम गांव की नौ महिलाओं ने 2002 में मुर्गीपालन शुरू की थी. इन नौ महिलाओं से प्रेरणा लेकर आज गुमला जिले की 900 महिलाएं मुर्गीपालन कर रही है. आज से 18 वर्ष पूर्व इस गांव की महिलाएं अपने पति व बच्चों के साथ काम के लिए ईंट भट्ठा पलायन कर जाती थी. लेकिन आज गांव में हर एक घर के लोग मुर्गी पालन से जुड़ आर्थिक रूप से स्वावलंबी हो रहे हैं.

कोई बच्चा अनपढ़ नहीं, सभी स्कूल जाते हैं :

वर्ष 2002 में सिलम गांव की सरिता देवी, परीबा देवी, फुलमनी देवी, गोहमा देवी, बोलो देवी, सुकरो देवी, बिलचेन देवी, सीता देवी व कार्तिका देवी ने गांव में मुर्गी पालन की शुरुआत की थी. मुर्गीपालन से एक माह में ही इन लोगों की स्थिति में सुधार हो गया.

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