देश में कोरोना संक्रमण के बाद आर्थिक मजबूती के लिए सरकार ने कई बड़े कदम उठाये हैं. बैड बैंक और टेलीकॉम के लिए सरकार ने अलग नीति तैयार की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली सरकार पर कॉपोरेट जगत को मजबूत करने के लिए कई तरह की योजनाओं के माध्यम से मजबूती देती रही है. इन पैकेजों की वजह से कई बार रानजीतिक तौर पर उन पर आरोप भी लगे हैं.
साल 2008 में जब आर्थिक मंदी आयी थी तब अमेरिका में भी निजी बैंक और संस्थानों को मंदी से उबारने के लिए $700 बिलियन की संकटग्रस्त संपत्ति को राहत कार्यक्रम के रूप में कानून बनाया गया था. इसे TARP नाम दिया गया. ऐसा ही नियम दूरसंचार राहत पैकेज में है. इरादों के साथ- साथ इस नीति में उन्हें मदद की जरूरत है जो कॉपोरेट और गरीबों के हित में हो.
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इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक खबर के अनुसार ज्यादातर फैसले पिछले दो महीनों में लिये गये. पूर्वव्यापी कराधान को लेकर लंबे समय तक बार- बार चर्चा हुई . इसमें शामिल चुनौतियों और खतरे को देखते हुए इसे बंद कर दिया गया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना संक्रमण के खतरे के बाद पूरी तरह अर्थव्यस्था को मजबूत करने और इसे गति देने पर केंद्रित था. एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस संबंध में इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि नेतृत्व के स्तर पर इस संबंध में दृष्टिकोण परिवर्तन का प्रतीक है.
इस संबंध में एक अन्य सूत्र जो सरकारल को नीतिगत मुद्दों पर सलाह देता है कहा, सरकार पिछले दो महीनों से ठोस फैसले ले रही है. इसका सबसे मुख्य उद्देश्य पिछले साल आयी महामारी के बाद कॉपोरेट क्षेत्र में आयी मंदी और नकारात्मकता को दूर करना है.
भारत और अमेरिका की मुद्दा मुद्रित नीति में फर्क है. इसमें सीमित वित्तीय स्थान है. सरकार की नीति है कि कंपनियों को इससे सहयोग मिले, कंपनियां निवेश की तरफ जायें बैंक लोन देना शुरू करे. इस संबंध में वित्त सचिव ने कहा था कि हमारे पास जो क्षमता है उसे संरक्षित करने और एक ठोस रणनीति बनाने की दिशा में काम हो रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा, अर्थव्यस्था की गति तेज हो रही है. इसमें सुधार देखा जा रहा है . निवेश और कई तरह की परेशानियां थी तब हमने इसमें नीतिगत बदलाव किया जिसका लाभ मिला . एक अधिकारी ने बताया वोडाफोन इंडिया लिमिटेड का ब्याज बकाया सरकार को तीसरी सबसे बड़ी निजी दूरसंचार कंपनी में 30 फीसदी हिस्सेदारी लेने में सक्षम बनाएगा.
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