राजस्थान विधानसभा में मॉनसून सत्र के दौरान एक अजीब वाकया हुआ. स्पीकर सीपी जोशी ने एक विधायक के सवाल का हस्तक्षेप करते हुए पूछा कि सरकार बताएं कि राजस्थान में ऊंट को राजकीय पशु घोषित करने से क्या फायदा है और क्या नुकसान है. इस सवाल के जवाब में अशोक गहलोत सरकार के मंत्री ने कहा कि मैं उस वक्त सदन में नहीं था. इसलिए मुझे इसकी जानकारी नहीं है.
दरअसल, कांग्रेस के विधायक अमीन खां ने एक सवाल ऊंट को लेकर एक सवाल पूछा कि ऊंट को राजकीय पशु क्यों घोषित किया गया है? इस पर पशुपालन मंत्री लाल चंद कटारिया आंकड़े प्रस्तुत करने लगे, जिसपर विधायक ने असहमति जताई. वहीं सवाल के बीच में हस्तक्षेप करते हुए स्पीकर ने कहा कि आप बताइए कि अन्य पशु की तुलना में ऊंट को राजकीय पशु घोषित करने से क्या फायदा है, जिसके जवाब में मंत्री ने कहा मैं सदन में उस वक्त नहीं था और मुझे नहीं मालूम है. उस वक्त के लोग सोच समझकर फैसला लिए होंगे.
2015 में किया गया था घोषित – बता दें कि वसुंधरा राजे की सरकार में 2015 में ऊंट को राजकीय पशु घोषित किया गया था, जिसमें ऊंटों के संरक्षण की बात कही गई थी. वहीं आज मंत्री लाल चंद कटारिया ने कहा कि हमारी सरकार ऊंटों के संरक्षण के लिए अगले सत्र में संशोधन विधेयक पेश करेगी.
अवैध उत्खनन पर प्रमोद जैन भाया ने बीजेपी को घेरा- इधर, प्रश्नकाल के दौरान मंत्री प्रमोद जैन भाया ने बीजेपी को ही घेर लिया. एक सवाल के जवाब में भाया ने कहा कि वसुंधरा राजे की सरकार के तुलना में कांग्रेस में अवैध उत्खनन के मामले में अधिक कार्रवाई की गई, जबकि हम अभी ढ़ाई साल से ही सरकार में है. बता दें कि आज विधानसभा का पांचवा दिन था,