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टीकाकरण की गति

टीकाकरण को उच्चतम गति पर रखते हुए लोगों से कोविड-अनुरूप बर्तावों की भी उम्मीद की जाती है, तभी हम संक्रमण से बचाव कर पायेंगे.

कोविड-19 के डेढ़ साल के अनुभव के आधार पर संक्रमण की नयी लहर का अनुमान लगाया जा सकता है. डॉक्टरों और महामारी रोग विशेषज्ञों का मानना है कि अनेक देशों में संक्रमण की तेजी हमारे लिये सतर्कता का संकेत है. तीसरी लहर से भले ही कम नुकसान का अनुमान हो, लेकिन नये वैरिएंट का उभार पूरे परिदृश्य को बदल सकता है. ऐसे में टीकाकरण के साथ-साथ सावधानी-सतर्कता भी जरूरी है. हालांकि, टीकाकरण अभियान तेज गति पकड़ चुका है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के अनुसार, अब तक वैक्सीन की 75 करोड़ खुराकें दी जा चुकी हैं.

देश में 16 जनवरी को टीकाकरण अभियान की शुरुआत के बाद 10 करोड़ के आंकड़े पर पहुंचने में 85 दिन लगे थे, वहीं इस महीने की सात से 13 तारीख के बीच टीकाकरण का आंकड़ा 60 करोड़ से 70 करोड़ पर पहुंच गया. संक्रमण की एक अन्य लहर को रोकने के लिए इस साल के अंत तक 60 फीसदी आबादी को वैक्सीन की दोनों खुराकें दी जानी आवश्यक हैं.

इसके लिए टीकाकरण को रोजाना एक करोड़ 20 लाख पर ले जाना होगा. मौजूदा गति से भारत दिसंबर तक 43 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण कर पायेगा, जबकि हमने 31 दिसंबर तक पूरी वयस्क आबादी को टीका देने का लक्ष्य निर्धारित किया था. देश में वयस्क आबादी 94 करोड़ है, जिसे पूरी तरह टीकाकृत करने के लिए 188 करोड़ खुराक की आवश्यकता होगी. खास बात है कि सीरम इंस्टीट्यूट साल के शुरुआत में हर महीने 6.5 करोड़ कोविशील्ड की खुराक का उत्पादन कर रहा था, वह जून में 10 करोड़, अगस्त में 12 करोड़ पर पहुंच गया.

उम्मीद है कि सितंबर में यह 20 करोड़ को भी पार कर जायेगा. इससे टीकाकरण की गति को तीव्र करने में सरकार को सहूलियत मिलेगी. साथ ही दो अन्य टीकों- कोवैक्सीन और स्पूतनिक से भी अभियान को मजबूती मिल रही है. हालांकि, कुछ राज्यों में टीकाकरण अभियान बहुत धीमा है. अभी तक 18 प्रतिशत वयस्कों को ही दोनों खुराकें और 58 प्रतिशत को एक खुराक मिल सकी है.

यूरोप और दक्षिण-पूर्व एशिया के कुछ देशों में संक्रमण में तेजी चिंताजनक है. भारत में दो खतरे मंडरा रहे हैं. पहला, देश में त्योहारी मौसम की शुरुआत हो रही है और बाजारों में भीड़ बढ़ने लगी हैं. दूसरा, दुनियाभर से आ रही संक्रमण और टीकाकरण की वर्तमान तस्वीर चिंताजनक है. इससे संक्रमण में कभी भी तेजी आ सकती है. ऐसे में मामलों की निरंतर निगरानी के साथ-साथ स्वास्थ्य देखभाल की बुनियादी सेवाओं को भी मजबूत करने की जरूरत है. टीकाकरण को उच्चतम गति पर रखते हुए लोगों से कोविड-अनुरूप बर्तावों की भी उम्मीद की जाती है, तभी हम संक्रमण की संभावित लहर से खुद को, परिवार को और अपने आसपास को लोगों को बचा पायेंगे.

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