आनंद तिवारी
पटनाआइजीआइएमएस में लिवर ट्रांसप्लांट करने वाले मरीजों के लिए राहत भरी खबर है. क्योंकि अब यहां गरीब मरीजों को केंद्र व राज्य सरकार की मदद से 10 लाख रुपये का अनुदान दिया जायेगा. ऐसे में अब यहां चार से पांच लाख रुपये में ही मरीजों का लिवर ट्रांसप्लांट हो जायेगा. इससे उन मरीजों को काफी राहत मिलेगी जो पैसे की कमी के कारण लिवर ट्रांसप्लांट कराने की सोच भी नहीं पाते थे.
वहीं संस्थान प्रशासन की ओर से भेजे गये प्रस्ताव पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर स्वीकृति मिल गयी है. उम्मीद है कि जल्द ही स्वीकृति की चिट्ठी संस्थान प्रशासन को उपलब्ध हो जायेगा. वहीं दूसरी ओर ट्रांसप्लांट सफल हो इसके लिए अब दिल्ली स्थित मैक्स अस्पताल के जाने माने ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ सुभाष गुप्ता आइजीआइएमएस में ट्रांसप्लांट करेंगे.
आइजीआइएमएस में इसके लिए ओपीडी लिवर ट्रांसप्लांट क्लिनिक की शुरुआत कर दी गयी है, जिसमें प्रत्येक शनिवार को सुबह 10 से 12:30 बजे तक लिवर ट्रांसप्लांट से जुड़े मरीजों की काउंसलिंग व इलाज किया जायेगा. इसमें जीआइ सर्जरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ साकेत कुमार, डॉ राकेश कुमार सिंह व डॉ अमरजीत कुमार राज की देखरेख में ट्रांसप्लांट किया जायेगा.
दिल्ली के डॉक्टर करेंगे ट्रांसप्लांट
डॉ गुप्ता शुरुआत के 10 ट्रांसप्लांट करेंगे, इसके बाद यहां के डॉक्टरों को जिम्मा दे दिया जायेगा. ट्रांसप्लांट के लिए अब तक आइजीआइएमएस में करीब 110 मरीज संपर्क कर चुके हैं. जबकि करीब 15 मरीज चिह्नित कर लिए गये हैं. मरीजों को करना पड़ेगा बस चार से पांच लाख खर्चमरीजों को पांच लाख केंद्र व पांच लाख राज्य कुल 10 लाख रुपये सरकार की ओर से मदद मिलेगी. वहीं राशि मिलने के बाद बाकी करीब चार से पांच लाख रुपये मरीजों को खुद से खर्च करनी होगी.
पहला लिवर ट्रांसप्लांट हो गया था फेल
आइजीआइएमएस में 19 मार्च 2020 को पहला लिवर ट्रांसप्लांट किया गया था. हालांकि सर्जरी सफल रही लेकिन 48 घंटे के अंदर ही मरीज की मौत हो गयी थी और ट्रांसप्लांट फेल हो गया था. उस समय नालंदा के रहने वाले रोहित कुमार का लिवर नोएडा के 47 वर्षीय डॉ. निमेश चंद्रा को लगाया गया था. डॉ. चंद्रा लिवर ट्रांसप्लांट के इंतजार में दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स अस्पताल में भर्ती थे. रोहित के ब्रेन डेड घोषित होने और परिजनों द्वारा देह दान के लिए सहमति देने के बाद चंद्रा को एयरलिफ्ट कर आइजीआइएमएस में लाया गया था. डॉक्टरों की टीम ने 10 घंटे के ऑपरेशन ऑपरेशन किया लेकिन मरीज को नहीं बचाया जा सका. इसको देखते हुए अब संस्थान प्रशासन देश के नंबर 1 लिवर ट्रांसप्लांट के नाम से मशहूर दिल्ली के डॉ सुभाष के नेतृत्व में 10 ट्रांसप्लांट करने का निर्णय लिया है.
90 से 95 प्रतिशत मरीजों को बचाया जा सकता है
आइजीआइएमएस जीआइ सर्जरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ साकेत कुमार ने कहा लिवर ट्रांसप्लांट ब्रेन डेड मरीज से लिवर मिलने पर ही संभव हो पाता है.सही तरीके से ट्रांसप्लांट किया जाये तो 90 से 95 प्रतिशत मरीज लिवर ट्रांसप्लांट करके बचाये जा सकते हैं. डोनर से दाहिने लिवर का एक भाग लेकर मरीज में ट्रांसप्लांट किया जाता है. आइजीआइएमएस में लिवर ट्रांसप्लांट करने वाले डॉक्टर विशेष ट्रेनिंग लेकर दक्ष हो चुके हैं. अब हम लोग भी दिल्ली, मुंबई की तर्ज पर बिहार के मरीजों का सफल ट्रांसप्लांट करेंगे.वहीं लिवर व ब्रेन डेड बॉडी दान करने वाले लोगों को जागरूक होने की जरूरत है.
अस्पताल प्रशासन ट्रांसप्लांट के लिए तैयार है
अनुदान के लिए तीन बार स्वास्थ्य मंत्रालय को आवेदन भेजा जा चुका है. उम्मीद है कि जल्द ही स्वीकृति मिलने की चिट्ठी अस्पताल प्रशासन को मुहैया करा दी जायेगी. इतना ही नहीं ट्रांसप्लांट के लिए हर शनिवार ओपीडी भी शुरू कर दी गयी है. जिसमें मरीज पंजीकृत किये जा रहे हैं. डॉ मनीष मंडल, मेडिकल सुपरिटेंडेंट आइजीआइएमएस.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.