चेन्नईः तमिलनाडु की द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (डीएमके) सरकार ने सोमवार को बड़ा फैसला किया. मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राज्य विधानसभा में एक ऐसा बिल पेश किया, जिससे राज्य के बच्चों को अब राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली NEET की परीक्षा से निजात दिला देगा. साथ ही सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए मेडिकल कॉलेजों में 7.5 फीसदी आरक्षण देगा.
नेशनल एलिजिबिलिटी कम इंट्रेंस टेस्ट (NEET) की बजाय अब 12वीं के अंक के आधार पर ही दक्षिण भारत के इस राज्य के विद्यार्थियों का मेडिकल कॉलेजों में दाखिला होगा. तमिलनाडु की द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (DMK) सरकार ने इसका मार्ग प्रशस्त कर दिया है.
सरकार ने इससे जुड़ा एक बिल सोमवार को विधानसभा में पेश किया. विपक्षी दल अखिल भारतीय अन्ना द्रमुक कषगम (AIADMK) ने इस बिल का समर्थन किया, जबकि भाजपा ने इसके विरोध में सदन से वाकआउट किया. इस बिल के पास हो जाने के बाद अब तमिलनाडु में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को 12वीं में प्राप्त अंक के आधार पर एमबीबीएस या बीडीएस (MBBS/BDS) में दाखिल मिलेगा.
Tamil Nadu Assembly passes a Bill to scrap NEET; enables admissions to MBBS/BDS based on class 12th marks. AIADMK supported the Bill and BJP staged a walkout.
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— ANI (@ANI) September 13, 2021
तमिलनाडु सरकार के फैसले के बाद अब मेडिसिन, डेंटिस्ट्री, इंडियन मेडिसिन और होम्योपैथी की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को नीट की परीक्षा नहीं देनी होगी. इतना ही नहीं, इस बिल में सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए मेडिकल में 7.5 फीसदी आरक्षण की भी व्यवस्था की गयी है.
उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु में नीट परीक्षा का हमेशा से विरोध होता रहा है. कल एक छात्र ने परीक्षा के डर से आत्महत्या कर ली थी. इसके बाद विपक्षी दल अन्नाद्रमुक ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया था. अब सरकार ने इस बिल को विधानसभा से पारित कराने के बाद कहा है कि उसने अपने चुनावी वायदे को पूरा किया है.
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने विधानसभा में कहा कि मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन का मामला संविधान के शेड्यूल VII के लिस्ट III में आता है. इसलिए राज्य सरकार को इसमें बदलाव करने का अधिकार है. यही वजह है कि वह यह बिल लेकर आये हैं.
Posted By: Mithilesh Jha