चिराग पासवान गुट के नेता और समर्थक स्व. रामविलास पासवान की बरसी पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने में लगे हैं. इसको लेकर उन लोगों ने पटना के हर चौक चौराहे पर इसको लेकर पोस्टर बैनर लगाये गए हैं. इधर, तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह और रामविलास पासवान की राज्य में आदमकद प्रतिमा स्थापित करने और दोनों की जयंती या पुण्यतिथि को राजकीय समारोह घोषित करने की मांग की है.
बताते चलें कि रविवार को पटना में लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान की बरसी मनाई जा रही है. इसके अगले दिन सोमवार को राजद के सीनियर नेता रहे रघुवंश प्रसाद सिंह की बरसी है. उनकी बरसी मुजफ्फरपुर मनायी जा रही है. दोनों के पुत्रों ने उनके कद के मुताबिक इसे मनाने में लगे हैं. इन दोनों जगह हजारों की जुटान होनी तय है. रघुवंश बाबू के लड़के ने नीतीश और तेजस्वी दोनों को ही बुलाया है. वहीं दूसरी ओर लोजपा में दो फाड़ होने के बाद अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने में जुटे रामविलास के पुत्र चिराग ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सोनिया गांधी से लेकर तमाम नेताओं को न्योता भेजा है.
पिछले वर्ष 8 अक्तूबर को रामविलास पासवान का निधन हो गया था. उनके निधन को 11 महीने हो चुके हैं और इस बीच परिवार और पार्टी दोनों ही बंट चुकी हैं. लेकिन, रामविलास पासवान को अपना असली उत्तराधिकारी बताने को लेकर उनकी बरसी भी दो बार की जा रही है. एक तिथि के हिसाब से और दूसरा एक साल पूरे होने पर किया जायेगा. तिथि के हिसाब से राम विलास पासवान का बेटा चिराग पासवान रविवार को कर रहे हैं. जबकि आठ अक्तूबर को एक साल पूरा होने पर पशुपति पारस की ओर से बरसी मनायी जायेगी.
चिराग की ओर से खगड़िया में अपने पैतृक गांव शहरबन्नी और दिल्ली में भी अपने पिता की बरसी मना रहे हैं , ताकि जो यहां न पहुंच सकें वो दूसरी जगह पर आ सकें. चिराग ने अपने सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी चाचा पारस को न सिर्फ इसमें बुलाया है, बल्कि आमंत्रण पत्र में उनका नाम देकर इस आयोजन को राजनीति से परे दिखाने की सफल कोशिश भी की है. लेकिन, चिराग की मुलाकात नीतीश से नहीं हो सकी है. इससे यह माना जा रहा है कि कोई भी आए, लेकिन नीतीश कुमार इसमें नहीं आने वाले हैं.