Jharkhand News, Ranchi News रांची : झारखंड नगरपालिका अधिनियम के मुताबिक नगर निकायों में होनेवाली पार्षदों की बैठक बुलाने का अधिकार केवल और केवल नगर आयुक्त, कार्यपालक पदाधिकारी या विशेष पदाधिकारी को ही है. महापौर (मेयर) पार्षदों की बैठक आहूत नहीं कर सकते हैं. पार्षदों के साथ बुलायी गयी किसी भी बैठक के लिए एजेंडा तैयार करने का अधिकार भी नगर आयुक्त या कार्यपालक पदाधिकारी को ही है.
बैठक के एजेंडा और कार्यवाही में निकाय के मेयर या अध्यक्ष की कोई भूमिका नहीं है. यह बातें महाधिवक्ता ने राज्य सरकार को अपना मंतव्य देते हुए कही है. रांची नगर निगम समेत प्रदेश के विभिन्न नगर निकायों में महापौर और नगर आयुक्त व अध्यक्ष और कार्यपालक पदाधिकारियों के बीच उठ रहे विवादों को देखते हुए राज्य सरकार ने निकायों में जन प्रतिनिधियों और अधिकारियों के कार्य क्षेत्रों तथा अधिकार पर महाधिवक्ता से मंतव्य मांगा था.
महाधिवक्ता द्वारा दिये गये मंतव्य को नगर विकास विभाग ने पत्र लिखकर सभी निकायों को अवगत कराया है. बताया है कि किसी भी आपातकालीन कार्य को छोड़ कर किसी भी परिस्थिति में महापौर व अध्यक्ष को एजेंडा में किसी भी तरह का बदलाव लाने का अधिकार नहीं है. बैठक के बाद अध्यक्ष या महापौर को स्वतंत्र निर्णय लेने का भी कोई अधिकार नहीं है. बैठक की कार्यवाही बहुमत के आधार पर ही तय की जायेगी.
महाधिवक्ता ने यह भी कहा है कि महापौर और अध्यक्ष को किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को कारण बताओ नोटिस जारी करने का अधिकार नहीं है. उनको किसी भी विभाग या कोषांग द्वारा किये जा रहे कार्यों की समीक्षा करने का अधिकार भी नहीं है. बैठक में महापौर के अनुपस्थित होने पर उप महापौर कार्यवाही पर हस्ताक्षर कर सकते हैं. अगर दोनों ही अनुपस्थित हों, तो पार्षदों द्वारा चयनित प्रीजाइडिंग अफसर हस्ताक्षर करेंगे.
महापौर की मौजूदगी में पार्षदों की सहमति से लिये निर्णय पर आधारित कार्यवाही में महापौर के हस्ताक्षर नहीं करने की स्थिति में नगर आयुक्त और कार्यपालक पदाधिकारी राज्य सरकार को अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा राज्य सरकार के पास कर सकते हैं. ऐसी परिस्थिति में राज्य सरकार को मेयर या अध्यक्ष को पदमुक्त करने का अधिकार प्राप्त है.
Posted By : Sameer Oraon