सुबोध नारायण पाठक, बेनीपुर. दूसरे चरण में बेनीपुर व अलीनगर प्रखंड में 29 सितंबर को होने वाली पंचायत चुनाव की तैयारी अंतिम चरण में है. जिला परिषद से लेकर वार्ड व पंच सदस्य तक के भावी प्रत्याशी की चहलकदमी बढ़ गयी है. प्रत्याशी घर-घर घूमकर महिला-पुरुष मतदाताओं से अपने पक्ष में वोट मांगने लगे हैं.
इधर प्रशासनिक स्तर पर नामांकन की तैयारी भी पूरी कर ली गयी है. मंगलवार से प्रत्याशी नामांकन का पर्चा दाखिल करेंगे. हालांकि इस बार के पंचायत चुनाव को लेकर प्रत्याशियों में संशय की स्थिति है.
उनका कहना है कि चुनाव में इस बार महिला मतदाताओं की वोटिंग का ग्राफ काफी गिर जायेगा, काण मतदान जिउतिया उपवास के दिन ही है. मिथिला की अधिकांश महिलाएं 29 सितंबर को 36 घंटे के निर्जला उपवास में रहेंगी.
जिउतिया को लेकर महिलाएं 28 सितंबर से 29 सितंबर की शाम 5.04 बजे तक व्रत में रहेंगी. इसे लेकर अधिकांश महिलाएं इस चिलचिलाती धूप में मतदान केंद्र तक पहुंचने की स्थिति में नहीं रहेंगी.
उल्लेखनीय है, गांव में पुरुषों की अपेक्षा महिला वोटरों की संख्या अधिक है. अधिकांश पुरुष मतदाता अपनी रोजी-रोटी की तलाश में परदेस में रहते हैं. यही कारण है कि प्रत्येक चुनाव में ग्रामीण क्षेत्र के प्राय: बूथों पर पुरुषों की अपेक्षा महिला वोटरों की लंबी कतार देखी जाती है, लेकिन इस बार बेनीपुर व अलीनगर के चुनाव में हिन्दू महिला वोटरों की उपस्थिति नगण्य रहने के असार बताये जा रहे हैं. यह भावी प्रत्याशियों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. प्रत्याशी अभी से ही ऐसे मतदाताओं को बूथ पर ले जाने की जुगत भिराने में लगे हैं.
इधर महिला मतदाता इंदु देवी, रामपरी देवी, लुखिया देवी, सुनीता देवी, सरिता देवी, बौकी देवी आदि बताती हैं कि जिउतिया सबसे बड़ा त्योहार है. यह पर्व महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु जीवन की कामना के लिए करती हैं. इस बार 36 घंटे का निर्जला उपवास है.
मतदान की तिथि तो आगे-पीछे हो सकती थी, लेकिन जिउतिया व्रत तो तय है. 36 घंटे निर्जला उपवास रख मतदान के लिए पंक्ति में खड़ा रहना इस बार व्रती महिला के बस की बात नहीं है. चुनाव आयोग को तिथि निर्धारण के पूर्व मिथिला के पर्व-त्योहार की तिथि पर भी नजर रखनी चाहिए. इन लोगों को मलाल है कि पंचायत चुनाव में इस बार शायद वे वोट नहीं गिरा पायेंगी.
एसडीओ प्रदीप कुमार झा ने कहा कि चुनाव तिथि का निर्धारण चुनाव आयोग द्वारा किया जाता है. इसमें स्थानीय प्रशासन की कोई भूमिका नहीं होती. वैसे जिउतिया पर्व मिथिला ही नहीं पूरे प्रदेश में मनाया जाता है. पर्व व चुनाव एक ही तिथि को होने के कारण महिला मतदाताओं की वोटिंग का ग्राफ प्रभावित हो सकता है.
Posted by Ashish Jha