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Supertech Case: SC के आदेश के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दायर करेंगे सुपरटेक चेयरमैन

सुपरटेक लिमिटेड के चेयरमैन आरके अरोड़ा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दायर करेंगे. उनका कहना है कि नोएडा में जुड़वा टावर कानून के मुताबिक बनाए गए हैं.

UP News: रियल्टी फर्म सुपरटेक लिमिटेड (Supertech Limited) ने शनिवार को कहा कि नोएडा (Noida) में उसके जुड़वां टावरों (Twine Towers) का निर्माण कानूनों के अनुसार और अधिकारियों की मंजूरी के साथ किया गया था. वे कंपनी के 40 मंजिला टावरों को ध्वस्त करने के सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश के खिलाफ एक समीक्षा याचिका (Review Application) दायर करेंगे. सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा (Supertech chairman RK Arora) ने कहा कि हम माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का सम्मान करते हैं. हमने एक समीक्षा आवेदन में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष मामले को फिर से पेश करने का निर्णय लिया है क्योंकि टावरों का निर्माण भवन उपनियम के अनुरूप सक्षम प्राधिकारी के अनुमोदन के अनुसार किया गया था.

कंपनी के किसी प्रोजेक्ट से नहीं जुड़े हैं जुड़वा टावर

आरके अरोड़ा ने अपने एक बयान में कहा कि एपेक्स (Apex) और सेयन टावर (Ceyane tower) कंपनी के किसी चल रहे प्रोजेक्ट से जुड़े नहीं हैं या उसका हिस्सा नहीं हैं. सुपरटेक समूह (Supertech group) अपनी परियोजनाओं में 10 करोड़ वर्ग फुट का विकास कर रहा है, जबकि एपेक्स और सेयन टावर केवल 6 लाख वर्ग फुट का निर्माण करते हैं जो कुल पोर्टफोलियो का 0.6 प्रतिशत है.

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सुप्रीम कोर्ट ने टावर को गिराने का दिया आदेश

बता दें, पिछले हफ्ते शीर्ष अदालत ने दो 40 मंजिला टावरों को ध्वस्त करने का आदेश दिया था. ये टावर उत्तर प्रदेश के नोएडा में सुपरटेक की एमराल्ड कोर्ट परियोजना (Supertech Emerald Court project in Noida) का हिस्सा हैं.

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दो बार दी गई योजना को मंजूरी

राज्य सरकार को भेजी गई नोएडा प्राधिकरण की रिपोर्ट में नामित सात अधिकारी, जिनमें से पांच अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं, इस समिति का हिस्सा थे. 2009-12 की अवधि जांच का फोकस बन गई है क्योंकि जुड़वां टावरों के लिए संशोधित योजनाएं, जिनमें से एक में ऊंचाई को दोगुना करने की अनुमति दी गई थी, को इस समय में दो बार मंजूरी दी गई थी.

एमराल्ड कोर्ट के लिए 2004 में जमीन आवंटित

जांच के अनुसार, सात अधिकारियों ने जून 2005 से एमराल्ड कोर्ट की फाइल को संभाला था. सेक्टर 93ए (Sector 93A) में एमराल्ड कोर्ट के लिए 2004 में जमीन आवंटित की गई थी. 2009-12 की अवधि में सुपरटेक के ट्विन टावरों सहित भवन योजनाओं को मंजूरी देने का निर्णय मुख्य वास्तुकार और नगर योजनाकार (सीएटीपी) की अध्यक्षता वाली एक समिति को सौंपा गया था. ट्विन टावर्स की जांच से पता चलता है कि बिल्डिंग प्लान को मंजूरी देने के लिए पैनल बनाया गया था.

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सुप्रीम कोर्ट के आदेश का नहीं पड़ेगा प्रतिकूल प्रभाव

सुपरटेक के अध्यक्ष अरोड़ा ने कहा, माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद के 2014 में पारित निर्णय के बाद हमने इस परियोजना में अधिकांश ग्राहकों को पहले ही वापस कर दिया है. हम पारित आदेश के अनुसार माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करेंगे. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आदेश का कंपनी पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि प्रत्येक परियोजना का अपना स्वतंत्र रेरा खाता और लागत केंद्र होता है.

सभी परियोजनाओं को निर्धारित समय सीमा में पूरा करेंगे

अरोड़ा ने कहा, सुपरटेक एक वित्तीय रूप से स्थिर और मजबूत समूह है. हमारे सभी परियोजना स्थलों पर निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार काम चल रहा है. हम अपने सभी ग्राहकों, बैंकरों, विक्रेताओं और अन्य हितधारकों को आश्वस्त करना चाहते हैं कि हम अपनी सभी परियोजनाओं को निर्धारित समय सीमा में वितरित करेंगे.

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Posted by : Achyut Kumar

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