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तालिबान राज: क्रूरता का शिकार हो रही महिलाएं, आगे बढ़कर काम करने की कोशिश की, तो निकाल ली आखें

Afghanistan Women Taliban Punishment अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद एक बार फिर महिलाओं का जीवन खतरे में दिख रहा है. बीस साल पहले तालिबान के सत्ता से बेदखल होने के बाद अफगान की महिलाओं ने अपने अधिकारों के लिए लंबा संघर्ष किया और वहां स्वतंत्र मानवाधिकार आयोग जैसी संस्थाएं बनी.

Afghanistan Women Taliban Punishment: अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद एक बार फिर महिलाओं का जीवन खतरे में दिख रहा है. बीस साल पहले तालिबान के सत्ता से बेदखल होने के बाद अफगान की महिलाओं ने अपने अधिकारों के लिए लंबा संघर्ष किया और वहां स्वतंत्र मानवाधिकार आयोग जैसी संस्थाएं बनी. लेकिन, 15 अगस्त को अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के साथ ही महिलाओं के लिए बाहर निकलना खतरनाक हो गया है.

आजतक ने अफगानिस्तान की ऐसी दो महिलाओं का इंटरव्यू प्रसारित किया है, जिन्होंने आगे बढ़कर काम करने की कोशिश की, तो तालिबान की क्रूरता का शिकार होना पड़ा. खातिरा हाशमी अफगानिस्तान में पुलिस बल के साथ काम करती थीं. पुलिस इंस्पेक्टर के पद पर तैनात थीं. परिवार का पूरा साथ मिलने के बावजूद 2020 में तालिबान ने उन्हें धमकी देने लगा. तालिबान को यह पसंद नहीं था कि एक महिला पुलिस में काम करे. खातिरा के मुताबिक, उनके पति को कहा जाता था कि अपनी पत्नी को बाहर काम करने से रोको.

बावजूद इसके, खातिरा काम करती रही. तालिबान ने उसे सात गोली मारी. इतना ही नहीं, आतंकी संगठन ने खातिरा की आंखें भी निकाल ली और मृत समझकर उन्हें बीच सड़क पर फेंक दिया. पुलिस द्वारा खातिरा को एक अस्पताल ले जाया गया, जहां पर उनका लंबे समय तक इलाज चला. खातिरा की जान तो बच गई, लेकिन उन्हें अपनी दोनों आंखें गंवानी पड़ीं.

ऐसा ही कुछ अफगान पत्रकार शाहीन मोहम्मदी के साथ हुआ. उन्हें भी तालिबान की क्रूरता झेलनी पड़ी. भारत में शरण लेने वाली शाहीन मोहम्मदी बताती हैं कि उन्होंने लंबे समय तक अमेरिका के लिए काम किया है और पेशे से पत्रकार हैं. वे अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के संपर्क में रहती थीं, लेकिन जब तालिबान को इस बात की जानकारी मिली, तो उन्होंने शाहीन मोहम्मदी का पूरा चेहरा बिगाड़ दिया. तालिबानी हिंसा की शिकार हुई शाहीन के आधे सिर पर आज एक भी बाल नहीं है. चेहरे की प्लास्टिक सर्जरी करवानी पड़ी.

आजतक से बातचीत में शाहीन ने बताया है कि तालिबान अल्लाह के नाम पर महिलाओं पर हर तरह का जुल्म करता है. उनके मुताबिक, जिसने भी अमेरिका या फिर पुरानी सरकार संग काम किया है, तालिबान उन्हें नहीं बख्शता है. उनके हाथों को भी काट दिया जाता है. फिर उन कटे हुए हाथ को खौलते हुए तेल में फेंक दिया जाता है. ये तालिबान की वो क्रूरता है, जिसका सामना महिला और पुरुष दोनों को करना पड़ता है. उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान में तालिबान का महिलाओं पर जुल्म किसी से छिपा नहीं है.

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