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Grah Dasha: ग्रहयोग के आधार पर छात्रों को मिलती है नौकरी, जाने कॉम्पिटिशन को लेकर क्या कहती है आपकी कुंडली

Grah Dasha: ग्रह योगों के आधार पर प्रतिस्पर्धा में सफलता होने के लिए कुण्डली में ग्रहों का संबंध ठीक होना तथा उनकी सही अंश पर होना आवश्यक है. कुण्डली की विश्लेषण इस प्रकार होनी चाहिए.

Grah Dasha: ग्रह योगों के आधार पर प्रतिस्पर्धा में सफलता होने के लिए कुण्डली में ग्रहों का संबंध ठीक होना तथा उनकी सही अंश पर होना आवश्यक है. कुण्डली की विश्लेषण इस प्रकार होनी चाहिए. आइए जानते है ज्योतिष एवं रत्न विशेषज्ञ संजीत कुमार मिश्र से सफलता पाने के लिए ग्रहयोग…

ग्रहयोगों के आधार पर प्रतिस्पर्धा में सफलता

  • लग्नेश पंचमेश चतुर्थेश का संबंध केंद्र या त्रिकोण से बनता हो या इनमें स्थान परिर्वतन हो तो सफलता मिलेगी.

  • कुंडली में कहीं पर भी बुधादित्य योग हो तो सफलता मिलेगी, लेकिन बुध दस अंश के ऊपर न हो.

  • केंद्र में उच्च के गुरु, चंद्र शुक्र, शनि यदि हो तो जातक परीक्षा (प्रतियोगिता) में असफल नहीं होता.

  • पंचम के स्वामी गुरु हो और दशम भाव के स्वामी शुक्र हो तथा गुरु दशम भाव में शुक्र पंचम भाव में हो तो निश्चित सफलता मिलती है.

  • लग्नेश बलवान हो. भाग्येश उच्च का होकर केंद्र या त्रिकोण में स्थित हो तो सफलता हर क्षेत्र में मिलती है.

  • लग्नेश त्रिकोण में धनेश एकादश में तथा पंचम भाव में पंचमेश की शुभ दृष्टि हो तो जातक विद्वान होता है. प्रतियोगिता में सफलता प्राप्त करता है.

  • चंद्र गुरु में स्थान परिवर्तन हो चंद्रमा पर गुरु की दृष्टि हो तो सरस्वती योग बनने से ऐसा जातक सभी क्षेत्र में सफल होगा, कहीं भी प्रयास नहीं करना पड़ेगा.

  • चारों केंद्र स्थान में कहीं से भी गजकेसरी योग बनता हो तो ऐसा बालक प्रतिस्पर्धा में अवश्य सफल होता है.

  • गुरु लग्न भावस्थ हो और बुध केंद्र में नवमेश, दशमेश, एकादशेश से युति कर रहा हो या मेष लग्न में शुक्र बैठे हो सूर्य शुभ हो और शुक्र पर शुभ-ग्रह की दृष्टि हो तो ऐसा जातक उच्च स्तरीय प्रशासनिक प्रतियोगिता परीक्षा में सफल होगा ही.

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  • कुंडली में पदमसिंहासन योग ऊंचाई देगा. इस दौरान छात्र कम मेहनत करते है तो भी सफलता मिल जाती है.

  • पंचमस्थ गुरु जातक को बुद्धिमान बनाता है. इस दौरान छात्र को अच्छी नौकरी मिलने का अधिक योग बनता है.

  • गुरु द्वितियेश हो व गुरु बली सूर्य, शुक्र से दृष्ट हों तो व्याकरण के क्षेत्र में सफलता.

  • केंद्र या त्रिकोण में गुरु हो, शुक्र व बुध उच्च के हो तो जातक साइन्स विषय में सफलता पाता है.

  • धनेश बुध उच्च का हो, गुरु लग्न में और शनि आठवें में हो तो विज्ञान क्षेत्र में सफलता मिलेगी.

  • यदि द्वितीय, चतुर्थ, पंचम, नवम, दशम, का संबंध बुध, सूर्य, गुरु व शनि इनमें से हो तो जातक वाणिज्य संबंधी विषयों से अपनी शिक्षा पूर्ण करता है.

  • यदि द्वितीय, चतुर्थ, पंचम, दशम का संबंध सूर्य मंगल चंद्र शनि व राहु से हो तो जातक को चिकित्सा संबंधी विषयों में अपनी शिक्षा पूर्ण करनी चाहिये.

  • यदि द्वितीय, चतुर्थ, पंचम व दशम का संबंध सूर्य, मंगल, शनि व शुक्र हो तो जातक इन्जीनियरिंग संबंधी विषयों से अपनी शिक्षा पूर्ण करता है.

  • द्वितीय भाव, चतुर्थ भाव, पंचम, नवम, दशम का संबंध सूर्य, बुध, शुक्र, गुरु, ग्रहों से हो तो जातक कला क्षेत्र में अपनी शिक्षा अवश्य पूर्ण करता है.

  • द्वितीय, चतुर्थ, पंचम, नवम, दशम, स्थान से सूर्य, मंगल, गुरु, चंद्र, शनि, व राहु का संबंध हो तो जातक विज्ञान संबंधी विषय में शिक्षा अवश्य पूर्ण करता है.

ग्रहों को शांत करने के लिए जानें उपाय

  • बुद्वि के प्रदाता श्रीगणेश जी के निम्न मंत्र का जप 21 बार बालक स्वयं करें. ऊं ऐं बुद्धिं वर्द्धये चैतन्यं देहित नम:। बालक के नाम से माता पिता भी कर सकते हैं.

  • श्रीगणेश चतुर्थी को गणेश पूजन करके 21 दूर्बा श्रीस्फटिक गणेश जी पर श्रीगणेशजी के 21 नामों सहित अर्पण करें और गं गणपतये नमः कीे एक माला जप करें. एकदन्त महाबुद्विः सर्व सौभाग्यदायकः। सर्वसिद्धिकरो देवाः गौरीपुत्रो विनायकः।। उक्त मंत्र को नियमित जपे व जिस समय परीक्षा हाल में प्रश्न पत्र हल करने बैठें तब 3 बार इस मंत्र का स्मरण मन ही मन करें.

  • मंत्र ऐं सरस्वतै ऐं नमः सरस्वती की मूर्ति अथवा चित्र या सरस्वती यंत्र के समक्ष उक्त मंत्र जपते हुए अष्टगंध से अपने ललाट पर तिलक लगाएं. पीला पुष्प अर्पण करें.

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  • परीक्षा देने से पूर्व मां अपने बेटे की जीभ पर शहद से श्री सरस्वती देवी का बीज मंत्र ऐं लिख दें. बालक को मीठा दही खिलाएं. बालक की स्मरण शक्ति तेज होगी. वाकपटु (श्रेष्ठवक्ता) होगा. बसंत पंचमी के दिन इस प्रयोग को संपन्न करने से बालक बालिका का मन पढ़ाई में लगता है व परीक्षा में श्रेष्ठ अंक प्राप्त करते हैं.

  • बुद्विहीन तनु जानिके सुमिरौ पवन कुमार। बल बुद्वि विद्या देहु मोहि, हरहु क्लेश विकार ।। मंगलवार या शनिवार के दिन श्री हनुमान जी के मंदिर में दीप जलाएं व शुद्ध पवित्र मन से एक माला उक्त मंत्र का जप करें. परीक्षाफल निकलने तक यह क्रम बनाए रखें.

  • विद्या प्रदायक श्री गणपति: जिन घरों में बच्चे विद्या अध्ययन में रुचि नहीं रखते उन्हें अपने अध्ययन कक्ष में टेबल के ऊपर शुभ मुहूर्त में श्री विद्या प्रदायक श्री गणपति की मूर्ति स्थापित करनी चाहिये. पढ़ने की टेबल में मां सरस्वती का फोटो रखें.

संजीत कुमार मिश्रा

ज्योतिष एवं रत्न विशेषज्ञ

मोबाइल नंबर- 8080426594-9545290847

Posted by: Radheshyam Kushwaha

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