Pithori Amavasya 2021 Date: सितंबर का महीना शुरू हो चुका है. सितंबर माह में कई प्रमुख व्रत-त्योहारों आते है. वहीं, भाद्रपद अमावस्या (Pithori Amavasya) तिथि का भी विशेष महत्व है. इस साल भाद्रपद अमावस्या तिथि 6 सितंबर दिन सोमवार को रहेगी. क्योंकि यह दिन पितरों की पूजा और श्राद्ध कर्म करने का होता है. जिनकी कुण्डली में पितर दोष होता है, उनको इस दिन पितरों के निमित्त विशेष पूजा और दान करने चाहिए.
हिन्दी पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि को पिठोरी अमावस्या या कुशग्रहणी अमावस्या कहा जाता है. भाद्रपद अमावस्या पर पितरों की आत्मा की तृप्ति के लिए किए जाने वाले धार्मिक कार्यों में कुश का प्रयोग होता है, इस वजह से इसे कुशग्रहणी अमावस्या कहते हैं. इस दिन किसी पण्डित के सानिध्य में पितृ दोष दूर करने के लिए शांति पूजन करवाएं. इस दिन कुण्डली में बनने वाले शनि राहु केतु से संबंधित दोष को दूर करने के उपाय से लाभ मिलता हैं. इसलिए जीवन में सुख और तरक्की के लिए इस दिन दूध, जल, अन्न, खीर का दान जरूर करना चाहिए.
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अमावस्या तिथि प्रारंभ 6 सितंबर 2021 दिन सोमवार की सुबह 7 बजकर 40 मिनट पर
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अमावस्या तिथि समाप्त 7 सितंबर 2021 दिन मंगलवार की सुबह 6 बजकर 23 मिनट पर
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पूजा का शुभ महूर्त 6 सितंबर दिन सोमवार को पूरे दिन है
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इस दिन स्नान, दान और पितरों के लिए तर्पण को शुभकारी और मंगलकारी माना जाता है. भाद्रपद अमावस्या इसलिए भी खास है क्योंकि इस दिन धार्मिक कार्यों के लिए कुशा यानि घास इकट्ठी की जाती है, जो कि काफी फलदायी मानी जाती है. अमावस्या के दिन नदी स्नान और दान करने का विशेष महत्व है. स्नान के बाद पितरों की तृप्ति के लिए पिंडदान, तर्पण आदि कर्मकांड किए जाते हैं. अपने पितर जब खुश होते हैं, तो व्यक्ति का परिवार भी खुशहाल होता है. जीवन में तरक्की और वंश की वृद्धि होती है.
संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष एवं रत्न विशेषज्ञ
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Posted by: Radheshyam Kushwaha