कौशिक रंजन,पटना. जीएसटी (माल एवं सेवा कर) लागू होने के बाद भी टैक्स चोरी करने वालों ने इसके कई तरीके खोज निकाले हैं. कई लोगों ने ठेला चलाने वाले या मड़ई (झोंपड़ी) में रहने वालों के नाम पर फर्जी कंपनी बना कर करोड़ों रुपये की टैक्स चोरी कर ली. उदाहरण के तौर पर बक्सर का एक मामला है.
बक्सर जिले के डुमरांव के अटाऊ निवासी सुंदर सिंह वैसे तो मड़ई में रहते हैं, लेकिन जीएसटी के रिकॉर्ड में इनके नाम से ‘सिंह ट्रेडर्स’ नाम की कंपनी मौजूद है. इस कंपनी के नाम पर करीब 70 करोड़ रुपये के अलग-अलग सामान की लेन-देन हुई है, वह भी एक साल के भीतर.
केंद्रीय जीएसटी के अधिकारी जब फिजिकल वेरिफिकेशन करने स्पॉट पर गये, तो इनकी मड़ई देखते ही समझ गये कि किसी ने इनके दस्तावेज का गलत इस्तेमाल करके पहले फर्जी कंपनी खोली, फिर इतना ज्यादा लेन-देन करके बड़े स्तर पर टैक्स चोरी कर ली.
हकीकत में सुंदर सिंह के पास पैन कार्ड तक नहीं है. इसे भी इनके नाम से फर्जी तरीके से बना दिया गया है. हाल में केंद्रीय जीएसटी के अधिकारियों ने ऐसी संदिग्ध कंपनियों के लेन-देन और टैक्स से जुड़े साक्ष्यों की जांच की, तो फर्जी या किसी दूसरे आदमी के नाम-पता और दस्तावेज पर कंपनी खोलकर करोड़ों का लेन-देन दिखाते हुए टैक्स चोरी मामला उजागर हुआ.
अधिकारियों ने ऐसे कंपनियों के नाम और पता का फिजिकल वेरिफिकेशन किया, तो सिर्फ कागज पर चल रही 200 से ज्यादा कंपनियां सामने आयीं. इनमें 250 करोड़ से ज्यादा के टैक्स चोरी का मामला सामने आया है.
गया में राहुल कुमार कोयले की एक छोटी-सी दुकान चलाता है. उसके आधार नंबर और पैन का उपयोग करके छह करोड़ रुपये महीने का फर्जी इनवाइस या लेन-देन दिखाकर बड़े स्तर पर टैक्स की हेराफेरी की गयी है. अधिकारियों को उसकी हकीकत देख कर ही पूरी कहानी मालूम हो गयी.
इसी तरह पटना में ही जाकिर इंटरप्राइजेज नाम के एक फर्म ने अपना पता दिया- ‘भवन संख्या-403, ग्राउंड फ्लोर, शास्त्री रोड, पटना-10.’ इसकी जांच करने पर पता चला कि यह स्थान शहर में कहीं है ही नहीं. इसी पते पर एक अन्य कंपनी साधिया ट्रेडिंग का भी रजिस्ट्रेशन किया हुआ था.
उसका भी कहीं कोई अता-पता नहीं है. इन दोनों फर्मों के माध्यम से 2.90 करोड़ रुपये का फर्जी बिल जारी करके टैक्स चोरी की गयी है. ऐसी दर्जनों कंपनियां राज्य में अलग-अलग स्थान पर फर्जी नाम और पते पर मौजूद हैं.
जांच में एक अन्य महत्वपूर्ण बात सामने आयी है. 60 फीसदी फर्जी कंपनियां ऐसी पायी गयीं, जिनके नाम पर छोटे-छोटे यानी पांच करोड़ से कम या दो-तीन करोड़ के ट्रांजेक्शन दिखाकर टैक्स चोरी की गयी है. बड़ी संख्या में ऐसी कंपनियां बनाकर एक बार ही लेन-देन की गयी है. ऐसे छोटे लेन-देन करके टैक्स चोरी करने का मकसद पकड़ में आने से बचना है.
केंद्रीय जीएसटी ने ऐसी 40 शेल या फर्जी कंपनियों के खिलाफ अलर्ट नोटिस भी जारी किया है, ताकि दूसरे राज्यों में भी यह फर्जीवाड़ा नहीं कर सकें. ये विशेष तौर पर वैसी कंपनियां हैं, जिनका लेन-देन या बड़ी संख्या में इनवाइस दूसरे राज्यों से जारी किये गये हैं.
इस फर्जीवाड़े में सीमेंट, लोहा, मार्बल-टाइल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स गुड्स, कोयला समेत अन्य सामान के नाम पर कारोबार करने वाली कंपनियां ज्यादा हैं. इसके अलावा कॉन्ट्रैक्ट का काम करने वाले फर्मों में भी इस तरह की शिकायतें काफी मिली हैं.
Posted by Ashish Jha