पटना. पटना में बाढ़ और बारिश के पानी के कारण होने वाले जलजमाव के कारण 28 हजार हेक्टेयर भूमि पानी में डूबी है. इसके कारण धान, मक्का और अरहर की फसल को भारी नुकसान हो सकता है. बाढ़ का पानी कम होने के बाद स्थिति का सही आकलन होगा कि कितनी फसल को नुकसान हुआ है.
बाढ़ ग्रस्त इलाके में धान के खेतों में लगा पानी अब धीरे-धीरे कम हो रहा है. ऐसे में उम्मीद जतायी जा रही है कि धान की फसल को बचाया जा सकता है. कुल 28 हजार हेक्टेयर में से 17 हजार हेक्टेयर में धान की फसल लगी हुई है. बाकि बचे 11 हजार हेक्टेयर में मक्का, अरहर और अन्य दूसरी फसलें हैं.
जिले में कुल कृषि योग्य भूमि दो लाख 32 हजार हेक्टेयर हैं. ऐसे में बाढ़ के कारण कृषि भूमि का बड़ा हिस्सा जलजमाव का शिकार हुआ है. विशेषज्ञों के मुताबिक इसका असर धान और दूसरी फसलों के उत्पादन पर हो सकता है. पिछले कुछ वर्षों में पटना में धान का उत्पादन लगातार बढ़ा है, लेकिन इस वर्ष की बाढ़ के कारण उत्पादन में गिरावट आ सकती है.
बाढ़ का पानी निकलने के बाद फसलों को हुई क्षति का आकलन सामने आयेगा इसके बाद सरकार की ओर से फसल क्षति के लिए मुआवजा राशि दी जा सकती है. जिले के 15 प्रखंडों में बाढ़ या बारिश के कारण होने वाले जलजमाव से फसलें डूबी हैं.
इसमें बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित प्रखंड पुनपुन, मनेर, दानापुर, पंडारक, बाढ़, बख्तियारपुर, पटना सदर, मोकामा, अथमलगोला हैं. जिले की 50 पंचायतें बाढ़ से प्रभावित हैं. इसमें 21 पंचायत पूर्ण रूप से और 29 पंचायत आंशिक रूप से प्रभावित हैं.
जिला कृषि पदाधिकारी राकेश रंजन ने कहा कि बाढ़ का पानी निकलने के बाद होगा सही आकलन पटना जिले की करीब 28 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि पानी में बाढ़ या बारिश के कारण होने वाले जलजमाव से डूबी हैं.
बाढ़ का पानी निकलने के बाद इसका सही आकलन सामने आयेगा कि फसलों को कितना नुकसान हुआ है. बाढ़ का पानी अब निकल रहा है ऐसे में धान को तो कम नुकसान होगा.
Posted by Ashish Jha