नई दिल्ली : ‘काबुलीवाला चाचा’ के देश अफगानिस्तान पर खूंखार आतंकी संगठन तालिबान ने कब्जा कर लिया है और अब वह वहां पर सरकार बनाने की तैयारी में जुट गया है. इस उलट-पलट के बीच चर्चा इस बात की भी शुरू हो गई है कि भारत का अफगानिस्तान के तालिबानी सरकार के साथ रिश्ते कैसे होंगे?
इस सवाल के पीछे कारण यह है कि भारत ने अफगानिस्तान में सड़क से लेकर संसद तक के निर्माण में करीब 22,000 करोड़ रुपये से अधिक रकम दांव पर लगा रखी है. इसके साथ ही, अफगानिस्तान के साथ सदियों से भारत का व्यापारिक संबंध रहा है, उसका क्या होगा?
बता दें कि भारत में अफगानिस्तान के किशमिश, अखरोट, बादाम, अंजीर, पिस्ता, सूखे खूबानी जैसे मेवे सबसे अधिक प्रचलित हैं. इसके अलावा, वहां से प्याज, अनार, सेब, चेरी, खरबूजा, तरबूज, हींग, काबुली चना, जीरा और केसर का भी आयात किया जाता है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान कोरोना महामारी के दौर में भी भारत-अफगानिस्तान के बीच करीब 1.4 अरब डॉलर (10,387 करोड़ रुपये) का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था.
वित्त वर्ष 2019-20 में 1.5 अरब डॉलर का हुआ द्विपक्षीय व्यापार
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत-अफगानिस्तान के बीच वित्त वर्ष 2019-20 में दोनों देशों के बीच 1.5 अरब डॉलर (करीब 11,131 करोड़ रुपये) का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था. 2020-21 में भारत ने अफगानिस्तान को करीब 6,129 करोड़ रुपये के उत्पादों का निर्यात किया था, जबकि करीब 37,83 करोड़ रुपये के उत्पादों का आयात किया था.
भारत के लिए बड़ी चुनौती
अब जबकि काबुल समेत पूरे अफगानिस्तान पर काबुल ने कब्जा जमा लिया है, तो भारत के सामने 22,350 करोड़ रुपये का निवेश करना एक बहुत बड़ी चुनौती बना है. भारत ने अफगानिस्तान में बुनियादी ढांचा से लेकर शिक्षा-चिकित्सा तक के क्षेत्र में करीब 22,350 करोड़ रुपये का निवेश किया है. भारत ने वहां पर सड़क, डैम, अस्पताल और यहां तक कि संसद तक का निर्माण कराया है. विदेश मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, भारत ने वहां पर करीब 400 से अधिक छोटी-बड़ी परियोजनाओं में निवेश किया है.
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कहां-कहां भारत का लगा हुआ है पैसा
भारत ने अफगानिस्तान में जिन-जिन परियोजनाओं में निवेश किया है, उन सबसे में प्रमुख काबुल का संसद भवन है. भारत ने करीब 675 करोड़ रुपये की लागत से काबुल में अफगानिस्तानी संसद का निर्माण कराया था. वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री मोदी ने इसका उद्घाटन किया था. इसके अलावा, भारत के सीमा सड़क संगठन ने करीब 15 करोड़ रुपये की लागत से अफगानिस्तान में करीब 218 किलोमीटर जरंज-देलाराम हाइवे का निर्माण कराया था.
इसके अलावा, भारत ने अफगानिस्तान को शहरी परिवहन के लिए 400 बसें और 200 मिनी बसें भी खरीदकर दी थीं. इसके साथ ही, अफगान नेशनल आर्मी के लिए 285 मिलिट्री व्हीकल्स दिए गए थे. पांच शहरों में अस्पतालों के लिए 10 एंबुलेंस भी दी गईं थी. इसके अलावा, साल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में सलमा डैम का उद्घाटन किया था. 42 मेगावॉट की क्षमता वाला यह एक हाइड्रोपावर और सिचाईं का प्रोजेक्ट है.
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