देश की पहली एमआरएनए आधारित कोरोना वैक्सीन पहले चरण के ट्रायल में सुरक्षित पायी गयी है. इस ट्रायल के नतीजों के आधार पर ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने वैक्सीन पर काम कर रही पुणे स्थित बायो टेक्नोलॉजी कंपनी जेनोवा बायो फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड को दूसरे और तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति दी है.
कंपनी ने अपनी वैक्सीन ट्रायल के पहले चरण के अंतरिम नतीजे सेंट्रल ड्रग कंट्रोलर स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी के पास भेज दिया था. कमेटी ने वैक्सीन के पहले चरण के अंतरिम परिणाम के डाटा की समीक्षा की और पाया कि वैक्सीन सुरक्षित और इम्यूनोजेनिक है. इसके बाद दूसरे और तीसरे चरण के मानव परीक्षण की इजाजत दे दी.
जेनोवा ने इस अध्ययन के लिए डीबीटी-आइसीएमआर क्लीनिकल ट्रायल नेटवर्क साइटों का उपयोग करेगी. जेनोवा के वैक्सीन विकास कार्यक्रम को डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी की ओर से आर्थिक सहायता दिया गया है. बाद में डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी ने मिशन कोविड सुरक्षा- भारतीय कोविड-19 वैक्सीन विकास मिशन के तहत कार्यक्रम का समर्थन दिया.
Also Read: केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को देर रात मिली जमानत, 20 साल बाद कोई केन्द्रीय मंत्री हुआ गिरफ्तार
वैक्सीन के दूसरे और तीसरे चरण की अनुमति मिलने पर डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी की सचिव रेणु स्वरूप ने कहा कि यह गर्व की बात है कि देश का पहला एमआरएनए-आधारित टीका सुरक्षित पाया गया है.
Posted by: Pritish Sahay