Jharkhand Constable Recruitment, Ranchi News रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने सोमवार को सिपाही नियुक्ति नियमावली को चुनाैती देनेवाली विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के जवाब को देखते हुए कड़ी नाराजगी जतायी. खंडपीठ ने जानना चाहा कि उसके 16 जनवरी 2017 के आदेश का अनुपालन क्यों नहीं किया गया. कहा कि आदेश का अनुपालन नहीं करना अवमानना का मामला बनता है.
नाराजगी जताते हुए खंडपीठ ने गृह सचिव को नोटिस जारी कर पूछा कि क्यों नहीं आपके खिलाफ अवमानना का मामला चलाया जाये. नोटिस का जवाब अगली सुनवाई के पूर्व देने का निर्देश दिया.
साथ ही राज्य सरकार को निर्देश दिया कि सिपाही पद पर नियुक्त किये गये करीब 6800 सिपाहियों को व्यक्तिगत रूप से लिखित में सूचित किया जाये कि मामले के अंतिम आदेश से आपकी नियुक्ति प्रभावित होगी. इस आशय का अखबारों में भी नोटिस छपवाने का निर्देश दिया गया. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 18 अक्तूबर की तिथि निर्धारित की.
इससे पूर्व राज्य सरकार की अोर से अधिवक्ता पीएस पति ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पक्ष रखते हुए खंडपीठ को बताया कि सिपाहियों की नियुक्ति पत्र में इस मामले के अंतिम आदेश से आपकी नियुक्ति प्रभावित होगी, इसका जिक्र नहीं किया गया है. झारखंड कर्मचारी चयन आयोग की अोर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने पैरवी की.
उल्लेखनीय है कि प्रार्थी सन्नी कुमार सिंह, सुनील टुडू, रंजीत कुमार सिंह, रिंकेश कुमार यादव, राकेश कुमार व अन्य की ओर से 50 से अधिक याचिकाएं दायर की गयी है. उन्होंने सिपाही नियुक्ति नियमावली को असंवैधानिक बताते हुए चुनाैती दी है. याचिका में कहा गया है कि सिपाही बहाली नियमावली-2014 पुलिस एक्ट के विरुद्ध बनायी गयी है.
पुलिस अधिनियम में सिपाही बहाली में रिक्त रह गये पदों पर द्वितीय मेरिट लिस्ट निकालने का प्रावधान है. अधिनियम के आधार पर बनायी गयी नियमावली में द्वितीय मेरिट लिस्ट जारी करने का कोई जिक्र नहीं है. यह नियमावली असंवैधानिक है, उसे निरस्त करने का आग्रह किया गया. रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए द्वितीय मेरिट लिस्ट जारी किया जाना चाहिए. 16 जनवरी 2017 को हाइकोर्ट ने आदेश पारित किया था कि मामले के अंतिम फैसले से सिपाही नियुक्ति प्रभावित होगी. इस आशय का जिक्र सिपाहियों के नियुक्ति पत्र में करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन सरकार ने नियुक्ति पत्र में इसका कोई जिक्र नहीं किया है.