UP Assembly Election 2022 : उत्तर प्रदेश में अगले साल 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसे लेकर सियासी दलों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं. भारतीय जनता पार्टी ने भी सत्ता में बरकरार रहने के लिए सियासी तानाबाना बुनना शुरू कर दिया. पिछली बार साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को ऐतिहासिक जीत मिली थी. पार्टी ने 312 सीटों पर जीत दर्ज की थी और योगी आदित्यनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे.
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उत्तर प्रदेश की 60 से ज्यादा विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां आज तक बीजेपी कभी कमल नहीं खिला पायी है. इस बार बीजेपी का सारा फोकस इन सीटों को जीतने पर है. इसके लिए पार्टी ने रणनीति बनाते हुए हर सीट पर अलग-अलग प्रभारी नियुक्त किए हैं. इन सीटों को जिताने की जिम्मेदारी पार्टी ने अपने विधान परिषद के सदस्यों, राज्यसभा सांसदों, निगम, बोर्ड और आयोग के अध्यक्षों को सौंपी है. ये सभी इन सीटों पर किस तरह जीत मिले, इसकी रणनीति बनाने में जुटे हैं.
जिन सीटों पर बीजेपी को अभी तक जीत नहीं मिली, उनमें राजधानी लखनऊ की मोहनलालगंज सीट, अंबेडकर नगर की अकबरपुर सीट, सीतापुर की सिधौली सीट, कानपुर की सीसामऊ सीट, रायबरेली की हरचंदपुर सीट, सदर सीट और ऊंचाहार सीट, इटावा की जसवंतनगर सीट, प्रतापगढ़ की रामपुर खास सीट, आजमगढ़ की निजामाबाद सीट, अतरौलिया सीट, मुबारकपुर सीट, सदर सीट और गोपालपुर सीट शामिल है.
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इसके अलावा जौनपुर की मल्हनी सीट, जो पहले रारी विधानसभा थी, वहां भी बीजेपी को आज तक जीत नहीं मिली है. प्रतापगढ़ की कुंडा सीट पर भी बीजेपी 1993 के बाद से आज तक नहीं जीती है. यहां से रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया विधायक हैं.
बता दें, यूपी विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर सभी दल सड़क पर उतर आए हैं. पूर्व मुख्यमंत्री और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव जहां साइकिल यात्रा और पिछड़ा वर्ग सम्मेलन के जरिए सत्ता में वापसी का रास्ता खोज रहे हैं वहीं मायावती ब्राह्मण सम्मेलन के जरिए बसपा में जान फूंकने की कोशिश कर रही हैं. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी यूपी में पार्टी की खोई हुई साख को वापस लाने में जुटी हुई हैं. अभी 19 अगस्त से 21 अगस्त तक पार्टी की तरफ से तीन दिवसीय जय भारत महासंपर्क अभियान चलाया गया था.
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अगर सत्तारुढ़ दल बीजेपी की बात करें तो वह भी लखनऊ से लेकर दिल्ली तक लगातार बैठकें कर रही है. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर 325 सीटें जीती थी, लेकिन 78 सीटें ऐसी थी, जहां न तो बीजेपी जीत सकी और न ही उसके सहयोगी. अब जबकि सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी बीजेपी से अलग हो गई है तो बीजेपी ने उन चार सीटों को भी हारी हुई सीटों में शामिल कर लिया है. इस तरह से अब भाजपा का सारा फोकस 82 सीटों पर है. इनमें से 60 से ज्यादा सीटों पर आज तक कमल नहीं खिल पाया है .
Posted by : Achyut Kumar