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पहली महिला CJI की अटकलों पर चीफ जस्टिस एनवी रमना बेहद नाराज, मीडिया को लेकर की यह टिप्पणी

मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि वर्तमान में कर्नाटक हाई कोर्ट की जज जस्टिस बी वी नागरत्ना भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बन सकती हैं. इस पर चीफ जस्टिस एन वी रमना ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है और मीडिया को फटकार लगायी है.

नयी दिल्ली : देश के कई मीडिया संस्थान ने देश में पहली महिला चीफ जस्टिस के नाम की अटकलें लगायी, जिस पर चीफ जस्टिस एन वी रमना ने बेहद नाराजगी जाहिर की है. मीडिया को फटकार लगाते हुए उन्होंने शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में कॉलेजियम की बैठक पर मीडिया रिपोर्टों में लगायी गयीं अटकलों को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति पवित्र प्रक्रिया है और इससे गरिमा जुड़ी हुई है. मीडिया को उसकी सुचिता को समझना चाहिए और स्वीकार करना चाहिए.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस नरीमन के कारण ही आम सहमती नहीं बन रही थी और नामों की सिफारिश नहीं भेजी जा सकी थी. जस्टिस नरीमन वरियता सूची तैयार करने के पक्ष में थे और वे अंत तक इस बात पर भी अड़े रहे कि नामों पर कोई आम सहमति नहीं बन सकती जब तक हाई कोर्ट के जजों के लिए अखिल भारतीय वरियता सूची में दो सबसे वरिष्ठ जज कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अभय ओका और त्रिपुरा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अकील कुरैशी को शामिल नहीं किया जाता.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 9 नामों की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट के जज के लिए की है, जिनमें तीन महिला जज के नाम हैं. उसमें कर्नाटक हाईकोर्ट की जस्टिस बी वी नागरत्ना, तेलंगाना हाई कोर्ट की जस्टिस न्यायमूर्ति हिमा कोहली और गुजरात हाई कोर्ट की जस्टिस बेला त्रिवेदी के नाम शामिल हैं.

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प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण ने कहा कि मैं बेहद नाराज हूं और सभी पक्षकारों से उम्मीद करता हूं कि वे इस संस्थान की सुचिता एवं गरिमा बनाए रखेंगे. प्रक्रिया के लंबित रहने यहां तक की प्रस्ताव को आधिकारिक रूप देने से पहले ही मीडिया की खबरों में अटकलें लगाने से उल्टा असर होता है. इस तरह की गैर-जिम्मेदार रिपोर्टिंग और अटकलों के कारण प्रतिभाओं के योग्य कैरियर की प्रगति के मौकों को नुकसान पहुंचता है.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में अब तक केवल आठ महिला जजों की नियुक्ति हुई है. फिलहाल एक महिला जज जस्टिस इंदिरा बनर्जी सुप्रीम कोर्ट में हैं. जस्टिस बनर्जी 2022 में रिटायर हो रही हैं. सुप्रीम कोर्ट के जज और कॉलेजियम के सदस्य जस्टिस रोहिंटन नरीमन के रिटायर होने के बाद इन नामों की सिफारिश की गयी है.

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जस्टिस ओका, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस जे के माहेश्वरी क्रमशः गुजरात और सिक्किम उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को कॉलेजियम द्वारा चुना गया है. न्यायमूर्ति ओका, जो वर्तमान में देश में उच्च न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं, नागरिक स्वतंत्रता पर अपने फैसलों के लिए जाने जाते हैं. कोविड-19 महामारी के दौरान, न्यायमूर्ति ओका ने प्रवासी श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करने वाले कई आदेश पारित किये.

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