New e-Filing portal : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि नए इनकम टैक्स ई-फाइलिंग पोर्टल में तकनीकी खामियां अगले कुछ सप्ताह में काफी हद तक ठीक कर ली जाएंगी और वह इस विषय पर इंफोसिस का लगातार ध्यान दिला रही हैं.
उन्होंने कहा कि मैं इंफोसिस (नया पोर्टल विकसित करने वाली वेंडर कंपनी) को इस बारे में लगातार ध्यान दिला रही हूं और (इंफोसिस के प्रमुख) नंदन नीलेकणि मुझे आश्वासन के संदेश भेज रहे हैं कि वे इसे सुलझा लेंगे. वित्त मंत्री ने कहा कि अगले कुछ हफ्तों में इन खामियों को काफी हद तक ठीक कर लिया जाएगा.
इसके साथ ही, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को काबू में करने के लिए एक्साइज ड्यूटी घटाने से इनकार कर दिया है. यह बात दीगर है कि पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर उन्होंने पूर्व की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार को जिम्मेदार ठहराया है.
उन्होंने सोमवार को कहा कि यह बात सही है कि लोग चिंतित हैं और उन्हें चिंतित होना लाजिमी है, लेकिन पहले ईंधन पर दी गई भारी सब्सिडी के बदले किए जा रहे भुगतान से उनके हाथ बंधे हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली सरकारों ने सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों को ईंधन के कीमतों में बनावटी कमी को बनाए रखने के लिए खुदरा बिक्री मूल्य और लागत में अंतर की भरपाई के लिए बॉन्ड जारी किए थे. ये तेल बॉन्ड अब परिपक्व हो रहे हैं और इनका ब्याज के साथ भुगतान किया जा रहा है.
सीतारमण ने कहा कि सरकार ने इन तेल बॉन्ड के लिए पिछले पांच साल में 60,000 करोड़ रुपये से अधिक ब्याज का भुगतान किया है और अभी भी 1.30 लाख करोड़ रुपये बकाया है. उन्होंने कहा कि अगर मुझ पर तेल बॉन्ड के लिए भुगतान करने का बोझ नहीं होता, तो मैं ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी कम करने के लायक होती.
इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि जब तक केंद्र और राज्य सरकारें आपस में चर्चा नहीं करतीं, तब तक इसका कोई समाधान संभव नहीं है. वित्त मंत्री ने दो टूक कहा कि एक्साइज ड्यूटी में कोई कटौती नहीं की जा सकती. उन्होंने कहा कि पहले की यूपीए सरकार 1.44 लाख करोड़ रुपये कीमत के ऑयल बॉन्ड जारी करके तेल की कीमतें घटाई थीं. मैं इस तरह की चालबाजी नहीं कर सकती. इससे हमारी सरकार पर बोझ बढ़ा है और इसी वजह से हम पेट्रोल डीजल की कीमतें नहीं घटा सकते.
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