नई दिल्ली : भारत की अर्थव्यवस्था को वर्ष 2025 तक 5000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना फिलहाल आसान नहीं है. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि कोरोना महामारी की वजह से आर्थिक विकास को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचा है. यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स के प्रोफेसेर वामसी वकुलभरणम की मानें तो कोरोना महामारी की वजह से आई आर्थिक नरमी के कारण भारत शायद ही 2024-25 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन पाए.
भारत की आर्थिक गिरावट बहुत तेज
समाचार एजेंसी पीटीआई ने वकुलभरण के हवाले से खबर दी है कि भारत की अर्थव्यवस्था 2019 में अपने आकार की तुलना में अगले वर्ष में काफी अवधि तक कम रहेगी. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी स्पष्ट रूप से आर्थिक नरमी का सबसे महत्वपूर्ण कारण है. इसकी वजह से दूसरे विकासशील देशों और वैश्विक अर्थव्यवस्था की तुलना में भारत की आर्थिक गिरावट बहुत तेज है.
13 फीसदी से अधिक दर से हर साल करनी होगी वृद्धि
वकुलभरणम ने कहा कि वर्तमान में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 3,000 अरब डॉलर से कम है. यदि इसे चार वर्षों में 5,000 डॉलर तक पहुंचना है, तो अर्थव्यवस्था को औसतन 13 फीसदी से अधिक की दर से हर साल वृद्धि करनी होगी. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024-25 तक भारत की अर्थव्यवस्था को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है.
2021-22 में 9.5 फीसदी रहेगी ग्रोथ
अर्थशास्त्री ने कहा कि भले ही सब कुछ भारतीय रिजर्व बैंक और आईएमएफ की ओर से मौजूदा विकास अनुमानों के अनुसार हो, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था 2019 की तुलना में अगले वर्ष की काफी अवधि तक कम होगी. अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और रिजर्व बैंक ने हाल में वृद्धि दर के अनुमानों को घटाया है. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के ताजा अनुमान के अनुसार, अर्थव्यवस्था में पिछले वित्त वर्ष में 7.3 फीसदी की गिरावट आई. आरबीआई के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 9.5 फीसदी रहेगी.
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